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मुख्यमंत्री आवास में शुक्र वार देर रात तक चली कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में प्रत्याशियों के नाम को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो पाया। दिल्ली की सर्वे रिपोर्ट के बाद प्रत्याशियों के चयन में बदलाव किए जा सकते हैं। बैठक में कमेटी के अध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज, सदस्य एल हनुमंतिया और नीटा डिसूजा मौजूद रहे। इसके लिए कमेटी की बैठक में नामों को लेकर लंबी चर्चा हुई, जिसमें फिर से पैनल तैयार किए जा रहे हैं और कुछ नामों को जोड़ा जा रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन भी दिल्ली से सभी विधानसभाओं के लिए दो दो नामों की सूची लेकर आ गए हैं। यह छानबीन समिति की रिपोर्ट और ब्लाक स्तर की पैनल पर भी काफी चर्चा हुई। जिसके बाद अब कहा जा रहा है 12 सितंबर को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

हालांकि सूत्रों का ये भी कहना है पहली लिस्ट के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। 18 सितंबर के बाद ही पहली लिस्ट जारी हो सकती है। यानी 18 सितंबर से पहले लिस्ट जारी होने की कोई संभावना नहीं। इसकी नहीं कमेटी अच्छी तरह जानती है। प्रदेश में कांग्रेस के 50% से भी ज्यादा विधायकों का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं है। इसलिए अभी प्रत्याशी चयन में और देरी लगेंगे।

हालांकि पहले कहा जा रहा था 7 से 9 सितंबर के बीच पहली लिस्ट जारी किया जाएगा, किन्तु सहमति नहीं बन पा रही है। इसलिए 18 सितंबर के बाद लिस्ट जारी करने की बात कही जा रही है। किन्तु यह भी संभावित तारीख है और भी ज्यादा वक्त लग सकते हैं। आखिर में वही होगा जो हमेशा से होता आया है। ब्लाक और जिला से लिस्ट मंगाई गई है मगर प्रत्याशी ऐसे लोगों को बनाया जाएगा जिनका लिस्ट में नाम ही नहीं है।

इसलिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में पार्टी तारीख पर तारीख दे रही है। सूत्रों से जानकारी मिली है पार्टी ऐसा इसलिए कर रही है ताकि टिकट से वंचित रहने वाले दमदार उम्मीदवार बागी ना हो जाएं। अभी इस अंतराल के मध्य ऐसे लोगों को समझाबुझाकर शांत कराया जाएगा जिन्हें पार्टी टिकट नहीं दे रही है।

इसलिए समय बाबत बढ़ाई जा रही है और 18 सितंबर के बाद भी तारीख बनने की पूरी पूरी संभावना है। जब स्कीनिंग कमेटी के अध्यक्ष सभी सीटों के लिए दो दो नाम लेकर दिल्ली से आ गए तो फिर लिस्ट में अलग से नाम कैसे जुड़ जा रही है। मतलब स्पष्ट है आखिर में वही होगा जो हर बार होता है। टिकट उन्हीं को मिलेगी जिनका नाम पहले से चयन हो चुका है और अभी बार बार स्क्रीनिंग कमिटी का बैठक का मतलब बागियों को रोकना मात्र है। 

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