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Up kiran,Digital Desk : चार महीने पहले, यानी 21 जुलाई को, अपने कार्यकाल के बीच में ही अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़, शुक्रवार को पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मंच पर नजर आए। भोपाल में, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य द्वारा लिखी गई किताब “हम और यह विश्व” के विमोचन के मौके पर अपने विचार रखे।

RSS के विजन की प्रशंसा और 'सभ्यतागत ताकत' पर ज़ोर

अपने भाषण की शुरुआत में ही, धनखड़ ने RSS के विचारों और एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के विजन की भरपूर सराहना की। उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग नैतिकता और आध्यात्मिकता से दूर होते जा रहे हैं, और मनमोहन वैद्य की यह किताब उन्हें भारतीय सभ्यता की जड़ों में विश्वास को फिर से मज़बूत करने में मदद करती है।

धनखड़ ने भारत की 'सभ्यतागत ताकत' पर ज़ोर देते हुए कहा, "हमें अंदरूनी आत्मविश्वास और सभ्यतागत ताकत के साथ दुनिया से जुड़ना चाहिए।" उनका मानना था कि 6,000 से अधिक वर्षों के निरंतर सभ्यतागत ज्ञान से आकार ले रहे भारत के पास दुनिया को अशांति से निकालने की एक अनूठी क्षमता है।

'आपकी भाषा में बात करूंगा' - इरादा स्पष्ट करने का लिया संकल्प

हिंदी में अपना भाषण शुरू करने के बाद, धनखड़ ने कहा, "हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ सोच ही असलियत तय करती है। चाहे आप इसे कितना भी नकारते रहें।" इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि वे अंग्रेजी में बोलेंगे और इसका कारण बताते हुए कहा, "मैं इसके पीछे अपना इरादा समझाऊंगा। जिनसे चुनौती आ रही है, जो नहीं समझते हैं, जो समझना नहीं चाहते हैं, और जो किसी भी कीमत पर बदनाम करना चाहते हैं, वे मेरे असली इरादे को तब तक नहीं समझेंगे जब तक मैं उनकी भाषा में बात नहीं करूँगा।" यह बयान कहीं न कहीं उन लोगों के लिए था जो उनके इस्तीफे या संघ से जुड़ाव पर सवाल उठा रहे थे।

प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय जाने का किया ज़िक्र

धनखड़ ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के 2018 में नागपुर में RSS मुख्यालय जाने के उस विवादास्पद दौरे का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि उस वक्त इस दौरे ने कई लोगों को हैरान कर दिया था और कुछ ने तो इसे 'ईशनिंदा' तक कहा था। धनखड़ ने कहा कि यह किताब आठ साल में लिखे गए लेखों का संग्रह है, जिसमें प्रणब मुखर्जी पर भी दो लेख शामिल हैं।

राजनीतिक संकेत या केवल संयोग?

संघ से जुड़े कार्यक्रम में धनखड़ की शिरकत को राजनीतिक गलियारों में भाजपा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के एक मजबूत संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। करीब चार महीने बाद मंच पर लौटे पूर्व उपराष्ट्रपति के विचारों पर अब सबकी नज़रें होंगी।