जामिया यूनिवर्सिटी के साथ हो रहा है भेदभाव, इस सांसद ने लगाया आरोप

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नई दिल्ली, 17 सितम्बर । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) वरिष्ठ नेता एवं सांसद कुंवर दानिश अली ने केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया के साथ केंद्र सरकार के रवैये पर निराशा व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर एक सौ साल पूरा होने पर संस्थान को मिलने वाली सौ करोड़ की अनुदान राशि जारी कराने का आग्रह किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि प्रभावशाली एवं उल्लेखनीय उपलब्धियों के बावजूद, केंद्र सरकार उस संस्था को सहयोग नहीं दे रही है, जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करती है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती है।

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अली ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित पत्र में कहा, ‘सौ साल पूरे करने वाली संस्था को सौ करोड़ रुपये का विशेष अनुदान देने का हमारे देश में चलन रहा है। इस राशि का उपयोग संस्थान की शैक्षिक बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने के लिए किया जाता है जबकि जामिया को सौ साल की एक बहुत ही सफल और ऐतिहासिक पारी को पूरा करने के अवसर पर कोई भी शताब्दी वित्तीय अनुदान नहीं मिला।

शिक्षक दिवस के अवसर पर, जामिया शिक्षक संघ ने भी विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे और शैक्षणिक और शोध सुविधाओं में सुधार के लिए सौ करोड़ रुपये के अनुदान को जारी करने के लिए आपसे अनुरोध किया था। इस सम्बंध में आप की तरफ़ से आज तक कोई पहल नहीं हुई है।’

वास्तविक मुद्दों की लगातार अनदेखी

उन्होंने कहा, ‘जामिया से एक और महत्वपूर्ण अनुरोध है जो लंबे समय से सरकार के पास लंबित है। विश्वविद्यालय ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि वह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्थापित करने की अनुमति दे। मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना से राष्ट्रीय स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर बनाने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले डॉक्टरों को तैयार करने में मदद मिलेगी।

मैं आपसे जामिया को मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्थापित करने की अनुमति देने का अनुरोध करूंगा। यह निर्णय राष्ट्रीय राजधानी में सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं के लिए लगातार बढ़ती आवश्यकता को संभालने में मदद करेगा।’ उत्तर प्रदेश के अमरोहा से सांसद अली ने पत्र में आगे कहा कि ‘जामिया भी मानव संसाधन विकास मंत्रालयव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा नियमित धन जारी करने में लंबे समय से संघर्ष कर रहा है।

इसके बकाया बिलों का एक अंबार लगा हुआ है, जिसमें चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल शामिल हैं जो करोड़ों की राशि के हैं। शिक्षक बड़ी मुश्किल में हैं क्योंकि सरकार उनके वास्तविक मुद्दों की लगातार अनदेखी कर रही है। धन की कमी ने जामिया को विशेष विषयों के लिए रिक्त पदों को भरने से रोक दिया है।’

अली ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करें कि जामिया मिलिया इस्लामिया के साथ भेदभाव नहीं किया जाए और उसे इसका हक दिया जाए।

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