किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए निर्धारित और अधिकृत किये गए वाहनको इमरजेंसी वाहन कहते हैं। जैसे कि पुलिस की गाड़ी, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि। सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए निर्धारित वाहनों को भी तब तक इमरजेंसी की श्रेणी में रखा जाता है जब तक उस आपदा के हालात को पूरी तरह कंट्रोल न कर लिया जाये।
इमरजेंसी वाहनों की पहचान के लिए उन पर विशेष साइरन और लाल रंग की बत्ती लगी रहती है या फिर उनके परिचालन के समय पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिये रास्ते में चल रहे अन्य वाहनों को रास्ता क्लीयर करने का निर्देश दिया जाता है। साइरन या अनाउंसमेंट सुनने के बाद भी यदि आप उस गाड़ी को फ्री पैसेज नहीं देते हैं तो आपके लिए मुश्किल पैदा हो सकती है। बता दें कि सड़क पर आपातकालीन वाहनों का रास्ता न देने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
मोटर वाहन (संशोधन अधिनियम) 2019 की धारा 194E के अनुसार, जो भी वाहन चालक फायर सर्विस, एंबुलेंस या राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट इमरजेंसी गाड़ी का रास्ता बाधित करते हैं तो उन्हें छह महीने तक की जेल या फिर 0 हजार रुपये का अर्थदंड या दोनों मिल सकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मताबिक उक्त अधिनियम धारा 50, धारा 51, धारा 52, धारा 53, धारा 54, धारा 55, धारा 56, धारा 57 एवं धारा 93 अप्रैल 2022 से प्रभावी हैं।
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