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नवेद शिकोह
मीडिया की जाहिल जमात
हम फट्टर किस्म के तथाकथित पत्रकारो़ की बात नहीं कर रहे हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हर राष्ट्रीय मीडिया हाउस का क्रीम मेटीरियल काम करता है। यहां बड़े-बड़े न्यूज चैनलों के बड़े-बड़े पत्रकारों की पोस्टिंग होती है।
याद होगा आपको मुंबई और दिल्ली के पत्रकारों ने ही देश को कोविड 19 पर तय सरकारी की एडवाइजरी से वाकिफ किया था। इसीलिए पत्रकारों को कोरोना योद्धा का दर्जा मिला है। ये हमें कोरोना से लड़ने की एहतियातों से वाकिफ कराते हैं। जो सरकारी निर्देशों का पालन नहीं करता उसपर उंगलियां उठाते हैं।
इन मीडिया वालों ने ही सरकारी निर्देशों की जानकारी देते  हुए बताया था कि कोरोना काल में शादी में केवल पचास और मौत पर सिर्फ बीस लोग ही इकट्ठा हो सकते हैं,वो भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ।
इन नियमों का एलान करने वाले देश के ब्रांड मीडियाकर्मीं खुद ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पूरे देश को नजर आ रहे हैं। वो भी देश के उस शहर में जिसे इंडिया का वुहान कहा जा रहा है। मुंबई में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबरों से जुड़े फुटेज पाने की प्रतिस्पर्धा में मीडियाकर्मीं  एक दूसरे पर लदे पड़े हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
बेमिसाल अभिनेता सुशांत को भावभीनी श्रद्धांजलि। इस युवा अदाकार की आत्महत्या के कारण नहीं पता चले हैं लेकिन उनकी मौत की कवरेज में लगे मुंबईया मीडियाकर्मियों की जमात प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में   मुंबई में कोरोना के भयावह हालात भूल कर खुद आत्महत्या करते नजर आ रहे हैं।

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