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दान पुण्य का प्रतीक पर्व मकर संक्रांति का पर्व गुरूवार को उल्लस व श्रद्धानुसार मनाया जाएगा। सूर्यदेव का मकर राशि में भ्रमण के साथ ही वे उत्तरायण होंगे। इससे दिन में भी बढ़ोत्तरी होगी। लोग अपनी इच्छानुसार दान पुण्य करेंगे और पवित्र जलाशयों में स्नान आदि करेंगे। देश भर में इस पुण्य का लाभ उठाया जाएगा।
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ऋतु परिवर्तन भी होगा

सूर्यदेव के उत्तरायण होने के साथ ही दिन के समय में भी बढ़ोत्तरी होने लगेगी। इसे ऋतु परिवर्तन भी होगा। पौष माह का आधा काल बीत गया है। बुधवार से शुक्ल पक्ष आरंभ हुआ है। पौष माह में सर्दी का असर कम होने का असर  की पंरपंरा में माना जाता है। तिल के व्यंजनों का पर्व मकर संक्रांति को लेकर लोगों में उत्साह है। गुरूवार से मळमास समाप्त हो जाएगा और शुभ कार्य किए जा सकेंगे।

इस मकर संक्राति पर कई विशेष संयोग बन रहे

सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब पांच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे। इस मकर संक्राति पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ बना रहे हैं।

मकर संक्रांति पर सूर्य मिलेंगे अपने पुत्र शनि से

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर आते हैं। इस वजह से इस खास दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस साल अच्छी बात है कि गोचर में शनि मकर राशि में ही चल रहे हैं जिससे मकर संक्रांति और महत्वपूर्ण बन गई है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायन रात होती है। सूर्य के उत्तरायण होने पर गरम मौसम की शुरुआत हो जाती है। इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इसका फल कई जन्मों तक मिलता है।

इतिहास में मकर संक्रांति

मकर संक्रांति को लेकर कई कथाएं हैं। सबसे पहली कथा श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण में बताई गई है। इनके अनुसार, शनि महाराज को अपने पिता सूर्यदेव से वैर भाव था क्योंकि सूर्यदेव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेदभाव करते हुए देख लिया था। इस बात से सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनिदेव और उनकी छाया ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।

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