((Krishna Janmashtami 2021)) गीता में चौथे अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है –
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
अर्थात हे भारत (अर्जुन) जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब मैं स्वयं की रचना करता हूं, अर्थात् जन्म लेता हूं। मानव की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए मैं अलग-अलग युगों में अवतरित होता हूं। द्वापर युग में सृष्टि के पालनहार विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म (Krishna Janmashtami 2021) लेकर धरती को कंस समेत अनेक पापी राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी।
शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मथुरा में हुआ था। श्रीकृष्ण की माता देवकी और पिता वासुदेव थे। इस तिथि को ही सनातन मतावलंबी जन्म अष्टमी (Krishna Janmashtami 2021) या गोकुलाष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त दिन सोमवार को है। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्स्व है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2021) पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी। इसके अलावा वृषभ राशि में चंद्रमा संचार करेगा। इस दुर्लभ संयोग के कारण जन्माष्टमी का महत्व और बढ़ गया है। मान्यता है कि जन्म अष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति समस्त दुखों से मुक्त हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2021) का पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। इस मौके पर मथुरा, वृदांवन समेत पुरे हिंदी पट्टी में कृष्ण-लीलाएं और रास-लीलाएं देखने को मिलेंगी तो वहीं महाराष्ट्र में मटकी-फोड़ने का विधान है। कृष्ण को लीलावतार माना जाता है, उनका पूरा बचपन विभिन्न लीलाओं से भरा हुआ है। इसीलिए इस दिन झांकियों के द्वारा लोग उनके बाल जीवन को प्रदर्शित करते हैं।
Janmashtami पर इस बार बन रहा है विशेष संयोग, ऐसे करें व्रत व पूजा