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Up Kiran, Digital Desk: कई श्रद्धालु 2025 के अंतिम प्रदोष व्रत की तिथि को लेकर थोड़े असमंजस में हैं। क्या यह 16 दिसंबर को है या 17 दिसंबर को? सही तिथि बुधवार, 17 दिसंबर, 2025 है। यह प्रदोष बुधवार को पड़ रहा है इसीलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है।

प्रदोष व्रत प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त विशेष रूप से शुभ माने जाने वाले शाम के प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करते हैं। पुराणों के अनुसार, त्रयोदशी की रात के पहले पहर में जो कोई भी श्रद्धापूर्वक भगवान शिव के दर्शन या पूजा करता है, उसे दीर्घकालीन समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

यहां बुध प्रदोष व्रत के महत्वपूर्ण समय और पूजा की सरल विधि दी गई है।

17 दिसंबर 2025 को प्रदोष व्रत का समय

प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 5:27 बजे से रात 8:11 बजे तक

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 16 दिसंबर 2025 रात्रि 11:57 बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 18 दिसंबर 2025 सुबह 2 बजकर 32 मिनट पर

बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि एवं अनुष्ठान

प्रदोष व्रत के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर अपने दैनिक कार्यों को पूरा करना चाहिए और व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। यह व्रत पूरे दिन अनुशासन और भक्ति के साथ रखा जाता है।

शाम को प्रदोष काल के पहले पखवाड़े में, फिर से स्नान करें और स्वच्छ, सफेद वस्त्र पहनें। पूजा के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा में एक शांत स्थान चुनें।

गंगाजल या साफ पानी से उस जगह को साफ करें। परंपरागत रूप से, गोबर से एक छोटा मंडप तैयार किया जाता है, हालांकि सुविधा के अनुसार इस चरण में बदलाव किया जा सकता है।

मंडप के भीतर पांच रंगों का उपयोग करके कमल का फूल बनाया जाता है। यदि यह संभव न हो, तो तैयार कमल के फूल का डिज़ाइन भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

केंद्र में भगवान शिव की मूर्ति या चित्र रखें। कुश आसन पर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और पूजा प्रारंभ करें।

फूल, फल और अन्य वस्तुएं अर्पित करते समय, प्रत्येक भेंट के साथ "ओम नमः शिवाय" का जाप करें।

पूजा के बाद बुध प्रदोष व्रत कथा सुनें।

आरती के साथ अनुष्ठान का समापन करें, भगवान शिव को भोग अर्पित करें और फिर प्रसाद को परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

साल का यह आखिरी प्रदोष व्रत भक्तों के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक बेहतरीन अवसर है।