आज के समय में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता और कुछ बीमारियां तो इंसान को उनके वीकनेस से हो जाता हैं। बात करें अस्थमा की तो ये व्यक्ति को सांस लेने में मुश्किल करता है। दमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है, जिससे श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। अस्थमा एलर्जी की प्रतिक्रिया से शुरू हो सकता है, जैसे कि मोल्ड / फंगस, पालतू जानवर, और वायरल संक्रमण।
गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, में क्रिटिकल केयर और पल्मोनरी-सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पीयूष गोयल ने कहा, “मॉनसून भी अस्थमा को ट्रिगर करने की प्रमुख वजहों में से एक है। बरसात के मौसम में कम धूप के कारण विटामिन-डी की कमी हो सकती है, जो अस्थमा के दौरे को ट्रिगर करने का कारण बन सकती है। इसके अलावा पूरे मॉनसून के दौरान ठंडा वातावरण अस्थमा के लक्षणों को और बिगाड़ने का काम कर सकता है। घरघराहट, खांसी और सांस लेने में तकलीफ ये सभी अस्थमा के लक्षण हैं।”
पारस हॉस्पिटल, के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट और पारस चेस्ट इंस्टीट्यूट के एचओडी डॉ. अरुणेश कुमार का कहना है, “लगातार नमी से फंगस का विकास होता है, जो बदले में अस्थमा के रोगियों में इंफ्लामेशन को ट्रिगर कर सकती है, जिससे अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। अस्थमा अटैक जानलेवा भी हो सकता है।
अस्थमा को ट्रिगर करने के प्रमुख कारणों में से एक पोलन भी है। बरसात के मौसम में वातावरण में पोलन बढ़ जाते हैं, जिससे अस्थमा का दौरा पड़ता है। इसके अलावा भावनात्मक कारण जैसे क्रोध, उत्तेजना, भय या अत्यधिक व्यायाम भी सांस लेने में समस्या पैदा करते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि अस्थमा का इलाज संभव नहीं है, हालांकि, इसे कंट्रोल किया जा सकता है।”
घरों में दीवारों या फर्नीचर में सीलन को चेक करते रहें, अगर है तो उसे फौरन ठीक कराएं ताकि घर में सीलन या नमी न रहे।