बीजेपी नए सहयोगियों की तलाश कर रही है लेकिन उसके जो पुराने सहयोगी हैं वो ही उसका साथ छोड़ते दिख रहे हैं। बीते चार साल में बीजेपी के आधा दर्जन सहयोगी उसका साथ छोड़ चुके हैं और अब इस सूची में एक और नाम जुड़ने वाला है। जिसके बाद बीजेपी की सरकार संकट में फंसती दिख रही है।
हरियाणा में बीजेपी गठबंधन सरकार संकट में फंस गई है। राज्य में बीजेपी सरकार में गठबंधन सहयोगी बीजेपी के नेताओं के बीच बयानबाजी तो हो चुकी है। दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं।
राज्य में बीजेपी बहुमत से दूर है ऐसे में सरकार बचाने की कोशिश शुरू हो गई है। दरअसल विवाद की शुरुआत राज्य के सीएम मनोहरलाल खट्टर के बयान से शुरू हुई। उन्होंने कहा कि हरियाणा में बीजेपी की सरकार है की नहीं वो सरकार में सहयोगी है।
इसके बाद बीजेपी हरियाणा के प्रभारी बिप्लव देव ने दुष्यंत चौटाला की विधानसभा सीट उचाना से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में प्रेमलता के नाम का ऐलान कर दिया। दुष्यंत चौटाला ने आपत्ति की तो बिप्लबदेब ने यहाँ तक कह दिया ने समर्थन देकर एहसान नहीं किया है। बदले में उन्हें मंत्री पद मिला है। इसके बाद से ही की ओर से बयान आने लगे कि पार्टी लोकसभा की दस और विधानसभा की नब्बे सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है।
सरकार पर बढ़ते संकट के बीच बीजेपी ने निर्दलीय विधायकों को साधना शुरू कर दिया है। दरअसल हरियाणा के नब्बे सदस्यों वाली विधानसभा में इस समय बीजेपी के काँग्रेस के तीस के दस विधायकों के अलावा निर्दलीय और अन्य की संख्या नौ है।
बहुमत से पाँच सीट दूर है ऐसे में अगर समर्थन वापस लेती है जिसकी संभावनाएं लगातार बढ़ती जा रही है तो खट्टर सरकार गिर सकती है। सरकार पर संकट टालने के लिए विप्लव देव ने दिल्ली में हरियाणा के चार विधायकों के साथ मीटिंग की है। ये मीटिंग बता रही है कि हरियाणा में खट्टर सरकार मुश्किल में फंस गई है।
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