Up Kiran, Digital Desk: हर महीने की अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में अपना एक खास महत्व होता है, लेकिन मार्गशीर्ष माह की अमावस्या जिसे 'अगहन अमावस्या' भी कहते हैं, और भी विशेष मानी जाती है. यह साल की आखिरी अमावस्या भी होगी. शास्त्रों के अनुसार, यह दिन न केवल पितरों को शांति प्रदान करने, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा पाने के लिए भी बेहद खास है. अगर आप पितृ दोष से मुक्ति चाहते हैं, जीवन में खुशहाली और सफलता पाना चाहते हैं, तो इस दिन कुछ खास उपाय जरूर अपनाएं. आइए जानते हैं इस पावन तिथि के बारे में सबकुछ!
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 कब है? जानें शुभ मुहूर्त
साल 2025 की मार्गशीर्ष अमावस्या सोमवार, 29 दिसंबर 2025 को पड़ रही है. यह दिन दान-पुण्य और पितृ तर्पण के लिए अत्यंत शुभ रहेगा.
- अमावस्या तिथि शुरू: 29 दिसंबर 2025, सुबह 07 बजकर 07 मिनट से
- अमावस्या तिथि समाप्त: 30 दिसंबर 2025, सुबह 04 बजकर 36 मिनट तक
मार्गशीर्ष अमावस्या का खास महत्व
ज्योतिष में मार्गशीर्ष महीने को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना गया है, क्योंकि उन्होंने गीता में कहा है कि "महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं". यही कारण है कि इस माह की अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है.
- पितृ दोष से मुक्ति: यह दिन पितरों की शांति और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. पितरों को याद कर विधि-विधान से तर्पण और दान करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
- शादी और संतान की समस्याएं: ऐसी मान्यता है कि अगर किसी के विवाह में रुकावटें आ रही हैं या संतान प्राप्ति में समस्या हो रही है, तो इस दिन के उपाय बहुत कारगर साबित होते हैं.
- कर्ज और दरिद्रता से मुक्ति: आर्थिक परेशानियां, कर्ज और दरिद्रता दूर करने के लिए भी यह अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण है. दान-पुण्य करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
- ग्रह शांति और रोग मुक्ति: यह दिन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने और रोगों से छुटकारा पाने के लिए भी विशेष फलदायी है.
कैसे करें पूजन? विधि और दान-पुण्य के उपाय
इस पवित्र दिन पर नीचे बताए गए तरीके से पूजा और दान-पुण्य करना बहुत लाभकारी होता है:
- पवित्र स्नान और अर्घ्य: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें. अगर यह संभव न हो, तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल (अर्घ्य) अर्पित करें. जल में काले तिल जरूर मिलाएं.
- पितृ तर्पण: अपने पितरों को याद करते हुए 'पितृ तर्पण' करें. इसके लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हाथ में जल, काले तिल और कुश लेकर उन्हें अर्पित करें. ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं.
- भगवान विष्णु/श्रीकृष्ण का पूजन: घर के मंदिर में भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण का विधिवत पूजन करें. उन्हें पीले फूल, चंदन, तुलसी दल और भोग लगाएं.
- पीपल के पेड़ की पूजा: पीपल के पेड़ में देवताओं का वास माना जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और जल अर्पित करें. शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है.
- दान-पुण्य: इस दिन जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान दें.
- वस्त्र दान: गरीबों को ऊनी वस्त्र, कंबल आदि का दान करना चाहिए, खासकर सर्दियों का मौसम होने के कारण.
- अन्न और अन्य सामग्री: चावल, दाल, गुड़, तिल, तेल, फल, घी जैसी चीजें भी दान कर सकते हैं. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
- ब्राह्मणों को दक्षिणा: पूजा-पाठ के बाद ब्राह्मणों को सामर्थ्यनुसार दक्षिणा जरूर दें.
मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन हमें अपने पितरों को सम्मान देने और भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाने का अवसर प्रदान करता है. इन उपायों से आप अपने जीवन की बाधाओं को दूर कर सकते हैं और एक सुखी, समृद्ध जीवन जी सकते हैं.
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