जोधपुर। राजस्थान के जोधपुर जिले की तिंवरी तहसील की 20 वर्षीय समता ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई है। समता का महज ढाई साल की उम्र में विवाह कर दिया गया था। अब ससुराल वालों के दबाव बनाए जाने के बाद उसने अंतत: विवाह रद्द करने के लिए अदालत में अर्जी दे दी है। समता ने कहा है कि मुझे अभी चूल्हा-चौका नहीं संभालना, पढ़-लिखकर जिंदगी संवारना है। यह बाल विवाह बिल्कुल मंजूर नहीं है इसलिए कोर्ट की शरण ली है।
समता ने बाल विवाह के बंधन में बंधने के बाद 17 साल तक दंश झेला। अब बालिका वधु समता ने जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय-1 में बाल विवाह निरस्त का आग्रह किया है। परिवाद के आधार पर न्यायाधीश महेंद्र कुमार सिंघल ने समता के तथाकथित पति को समन जारी किया है।
विवाह नहीं माना तो धमकियां मिलने लगीं
20 साल की हो चुकीं समता का 2003 में बाल विवाह ओसियां तहसील निवासी के साथ करवा दिया गया था। बाल विवाह के समय समता की उम्र महज ढाई साल की ही थी। बालिका वधु समता के ससुराल वाले लगातार गौना कर विदा करने का दबाव बनाए हुए हैं। समता व परिजन इससे मना कर चुके हैं। इसके बाद कई तरह की धमकियां भी दी जा रही है।
बाल विवाह निरस्त की मुहिम से जुड़ीं
इस बीच समता को सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती की बाल विवाह निरस्त की मुहिम के बारे में जानकारी मिली। समता ने बाल विवाह निरस्त के लिए डॉ. कृति भारती से सम्पर्क किया। सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती की मदद से समता ने जोधपुर पारिवारिक न्यायालय -1 में बाल विवाह निरस्त के लिए वाद दायर किया है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद पारिवारिक न्यायालय -1 के न्यायाधीश महेंद्र कुमार सिंघल ने समता के तथाकथित पति को समन जारी किया है।