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इसरो यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर अपनी दृष्टि डाली, जिसे चंद्रयान अंतरिक्ष यान द्वारा चिन्हित किया गया।  चांद का दक्षिणी धूव्र सबसे खतरनाक हिस्सा माना जाता है। यहां उतरने से पहले सभी देश 100 बार सोचते हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि भारत का चंद्रयान 3 इसी जगह पर उतरेगा।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुँचने की होड़ काफी तेज है। भविष्य की खोज के उद्देश्य और साउथ पोल पर सबसे पहले हर देश एक चौकी बना लेना चाहता है। चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव एक आकर्षक लक्ष्य है, जो अभूतपूर्व अवसरों के लिए कई दरवाजे खोलता है, यहां पानी व बर्फ मौजूद है जो धूमकेतू उल्का पिंड, सौर पवन से प्रेरित लौह अपचयन से होता है। स्थायी रूप से पानी और बर्फ का मिलना एक बड़ा परिवर्तक है जो जीविका प्रदान करता है ताकि भविष्य में किसी मिशन या खोजकर्ताओं के लिए संभावित रॉकेट प्रोपेलेंट है।

दक्षिण में प्रकाश से जगमगाती चोटियां संभावित चंद्र चौकियों को लगातार सौर ऊर्जा प्रदान कर सकती हैं जो कि लगातार खोजबीन करने का भरोसा दिलाते हैं जिससे जल संसाधन निकाले जा सकें। इस वजह से मानव मिशन दक्षिणी ध्रुव पर अधिकार जमा रहा है। 

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