मौजूदा समय में देश बीमार है । ‘व्यवस्थापिका और कार्यपालिका डरी हुईं हैं’, लेकिन फिर भी केंद्र की मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र को जबरदस्ती चलाना चाह रही है । सबसे खास बात यह है कि देश भर से मानसून भी अपनी विदाई का आखिरी दिन गिन रहा है । ‘सही मायने में इस मानसून सत्र का समय भी निकल गया है’ ।
आमतौर पर देश में मानसून सत्र जुलाई के महीने में शुरू होता है लेकिन इस बार आधा सितंबर बीतने को है । देशवासियों को कोरोना महामारी से बचने के लिए भाजपा सरकार खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए दिन संदेश दे रहे हैं । ‘मोदी सरकार के कई मंत्री और सांसद साथ ही विपक्ष के कई सदस्य बीमार भी हैं, कुछ घबराए हुए हैं’ उसके बावजूद केंद्र संसद सत्र चलाने के लिए अड़ा हुआ है ।
‘केंद्र सरकार ने मानसून सत्र में पक्ष और विपक्ष के सांसदों, मंत्रियों के पहुंचने पर नियम इतने कड़े कर दिए हैं कि हर कोई अपने बचाव और संसद की कार्यवाही में वॉकआउट करने के लिए बहाना ढूंढ रहा है’ । कई सांसदों ने तो पहले ही मानसून सत्र में भाग न लेने का एलान कर दिया है ।
वहीँ बता दें कि दूसरी ओर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी चिकित्सा जांच कराने के लिए पुत्र राहुल गांधी के साथ अमेरिका रवाना हो गईं हैं । सोनिया और राहुल गांधी के अमेरिका जाने से कांग्रेस सांसदों की मानसून सत्र में ताकत वैसे भी अधूरी हो गई है ।
यहां हम आपको बता दें कि कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच संसद का मानसून सत्र कल 14 सितंबर से शुरू हो रहा है । सबसे बड़ी बात यह है कि इस महामारी के बीच देश वैसे ही संकटों से घिरा हुआ है ऐसे में प्रश्न उठता है कि केंद्र की भाजपा सरकार मानसून सत्र में ऐसा कौन सा बिल (विधेयक) या अपनी योजनाओं का क्या गुणगान करने वाली है जिसके बिना केंद्र सरकार का काम नहीं चलेगा ।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस मानसून सत्र का देश की जनता को मौजूदा परिस्थितियों में केंद्र सरकार से कोई बड़ी उम्मीद भी नहीं है । दूसरी ओर सरकार यह भी मानकर चल रही है कि यह मानसून सत्र विशेष परिस्थितियों में कराया जा रहा है । केंद्र की भाजपा सरकार की इन मानसून सत्र कराने की सबसे बड़ी वजह यह है कि 23 मार्च को बजट सत्र खत्म होने के बाद सरकार ने 11 अध्यादेशों को मंजूरी दी थी।
अब मोदी सरकार की इस मानसून सत्र में प्राथमिकता इन्हीं अध्यादेशों को बिल के रूप में संसद की मंजूरी दिलवाना रहेगी । बता दें कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते इस बार दो संसद सत्रों के बीच करीब छह महीनों का अंतर रहा है ।
‘कोरोना महामारी के बीच केंद्र सरकार की जिद है कि हम मानसून सत्र करा कर रहेंगे’ दूसरी ओर सांसदों के ने भी ठान ली है कि हम नहीं आएंगे । रविवार दोपहर तक संसद के पांच सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मंत्रियों और पक्ष विपक्ष के संसद सदस्यों में हड़कंप मचा हुआ है । यहां हम आपको बता दें कि अभी कई सांसदों की रिपोर्ट आना बाकी है । जिनका कोरोना टेस्ट अभी चल रहा है ।
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों ने मानसून सत्र में भाग न लेने का एलान शनिवार को ही कर दिया था । इनमें राज्यसभा के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर राय भी शामिल हैं। बेलगावी से भाजपा के सांसद और रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को शनिवार को ही पणजी के एक अस्पताल से छुट्टी मिली है। इसलिए इन दोनों नेताओं के भी संसद सत्र में शामिल होने की संभावना नहीं है।
इस बार कोरोना संकट के चलते संसद सत्र में सब कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा । संसद सत्र के दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा । लोकसभा हर रोज 4 घंटे बैठेगी । सवालों का जवाब भी लिखित रूप में दिया जाएगा। कई दौर की समीक्षा बैठकों और कोविड-19 को लेकर विस्तृत प्रोटोकॉल बनाने के बावजूद कई सांसद संसद के मानसून सत्र से अनुपस्थित रहेंगे।
कोरोना वायरस ने संसद के कामकाज के तरीके पर बड़ा असर डाला है। पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ जब सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक नहीं हुई। जबकि नियम है सत्तारूढ़ केंद्र सरकार संसद सत्र से पहले विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक बुलाती हैं । 14 सितंबर से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है, लेकिन इससे एक दिन पहले कोई सर्वदलीय बैठक नहीं हुई । लेकिन सदन की कार्य मंत्रणा समिति के जरिए विपक्ष के साथ सहमति बनाई जाएगी।
यहां हम आपको बता दें कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी अपना कोरोना टेस्ट कराया है ।संसद की कार्यवाही के दौरान हर सदस्य को कोरोना के नेगेटिव रिपोर्ट लेकर जाना अनिवार्य है। इस बार दोनों सदनों में सदन के नेता और विपक्ष के नेता को छोड़कर किसी भी सदस्य के बैठने की सीट तय नहीं की गई है । बता दें कि संसद की कार्यवाही 18 दिनों तक लगातार चलेगी ।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार