ईश्वर ने हमें जो सबसे अनमोल उपहार दिया है, वह है माँ। मां से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं है।वैसे तो मां के लिये हर दिन और हर पल न्योछावर होता है, लेकिन एक खास दिन सिर्फ मां के लिये समर्पित है। भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में मातृशक्ति को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को ‘मातृ दिवस’ मनाया जाता है।
मातृ दिवस का इतिहास सदियों पुराना है। भारत में मातृनवमी मनाने की परंपरा अति प्राचीन है। यूनान में बसंत ऋतु के आगमन पर माँ को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता था। 16वीं सदी में इंग्लैण्ड का ईसाई समुदाय माँ ‘मेरी’ को सम्मान देने के लिए यह त्योहार मनाने लगा। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मातृशक्ति को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान् भूमिका को सलाम करना है।
आधुनिक युग में मां को सम्मान देने के लिये खास दिन की शुरुआत अमेरिका में हुई। अमेरिकी एक्टिविस्ट एना जार्विस की इसमें अहम भूमिका मानी जाती है। जार्विस पूरी जिंदगी अविवाहित रही और मां के साथ ही रही। मां की मौत के बाद उससे प्यार जताने के लिए जार्विस ने मदर्स-डे मनाने की शुरुआत की। अमरीकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने 08 मई, 1914 को मदर्स डे मनाने और माँ के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की थी। तब से हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।
इस दिन लोग अपनी माँ के साथ दिन बिताते हैं और तरह तरह के उपहार देते हैं। मां भी अपनी संतानों को आशीर्वाद देती है। इस बार लाकडाउन् के चलते लोग घरों में ही मदर्स डे मनाएंगे।