National News : विदेशी फंडिंग सहित, देश विरोधी गतिविधियों में इस धन के उपयोग सहित कई गंभीर आरोप पीएफआई पर लगे हैं। एजेंसियां डोजियर के आधार पर एक ठोस योजना तैयार कर रही हैं।
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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध की कवायद वर्ष 2017 से चल रही है। लेकिन अभी तक उसे प्रतिबंधित नहीं कर पाने की एक बड़ी वजह एजेंसियों का एकमत होना नहीं है। इस बार विभिन्न एजेंसियां समन्वित और संयुक्त तरीके से कार्रवाई कर रही हैं, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि कोई सख्त फैसला लिया जा सकता है।
एक अधिकारी ने कहा कि विदेशी फंडिंग सहित, देश विरोधी गतिविधियों में इस धन के उपयोग सहित कई गंभीर आरोप पीएफआई पर लगे हैं। एजेंसियां डोजियर के आधार पर एक ठोस योजना तैयार कर रही हैं जिसके आधार पर भविष्य में संगठन की गतिविधियों पर पूरी तरह नकेल कसी जा सके।
अधिकारी ने कहा, वर्ष 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पीएफआई पर एक विस्तृत डोजियर तैयार किया था, लेकिन इसे आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गैरकानूनी घोषित नहीं किया जा सका क्योंकि इस पर एजेंसियों और अधिकारियों की राय बंटी हुई थी।
जून, 2022 में एजेंसियों ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए दावा किया कि पीएफआई को वर्ष 2009 से अब तक 60 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए हैं, जिसमें 30 करोड़ से ज्यादा की नकद जमा राशि भी शामिल है। पीएफआई का दावा था कि फंड घरेलू स्तर पर जुटाया गया था। लेकिन एजेंसियां पीएफआई के दावे को काउंटर करने के साथ उसे अब तक 500 करोड़ से ज्यादा की फंडिंग खाड़ी देशों से मिलने का दावा कर चुकी हैं।
बता दें कि वर्ष 2021 में भी आईबी द्वारा आयोजित वार्षिक पुलिस बैठक में असम, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों ने अपनी प्रस्तुतियों में संगठन की कथित कट्टरपंथी गतिविधियों की बात की थी।
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