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यूपी में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से राज्य के बंटवारे की मांग शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश यानि कि पश्चिमांचल की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि यूपी का पश्चिमी क्षेत्र अगर राज्य बनता है तो उसकी राजधानी मेरठ होगी। बता दें कि पूर्वांचल, पश्चिमांचल, बुंदेलखंड और अवध को अलग प्रदेश में बांटने की मांग कोई नई मांग नहीं है।

साल 2011 में भी बसपा की सरकार में सीएम मायावती ने इस बाबत में विधान सभा में प्रस्ताव पेश किया था, जिसे ध्वनिमत के साथ पारित किया गया था। हालांकि बसपा के इस प्रस्ताव का कोई खास असर नहीं पड़ा क्योंकि राज्य के बंटवारे में मुख्य भूमिका संसद और केन्द्र सरकार की होती है। तब बसपा सरकार के इस प्रस्ताव को जहां सपा ने सिरे से खारिज कर दिया था, वहीं बीजेपी की ओर कांग्रेस ने इस पर कोई अपनी जो स्पष्ट प्रतिक्रिया है वो नहीं दी थी। विपक्षी दलों ने उस वक्त मायावती के इस प्रस्ताव को सियासी स्टंट करार दिया था।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सीएम योगी ने इस बाबत सवाल किए थे तो उन्होंने कहा था कि हम तोड़ने वाले नहीं जोड़ने में विश्वास रखते हैं। अब संजीव बालियान के बयान ने यूपी के पश्चिमी क्षेत्र में नया मुद्दा जोड़ दिया। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ये मुद्दा जोर पकड़ सकता है।

अब आपको अगर हम पश्चिमी यूपी में बताएं तो पश्चिमी यूपी में कुल 26 जिले आते हैं, जिनमें मेरठ, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, संभल, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ, एटा, हाथरस, कासगंज, इटावा और औरैया जैसे जो शांत जिलों के नाम शामिल हैं। 

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