रेलवे ट्रैक पर रेलगाड़ियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए सेंसर मशीनें लगाई गई थीं, जिनमें कई कमियां मिली हैं। इंजीनियरों का कहना है कि यदि इन्हें वापस नहीं लिया गया तो बालासोर जैसी दुर्घटना हो सकती है।
बीते एक साल में आरडीएसओ के इंजीनियरों द्वारा इस सिस्टम को लेकर कई बार चेतावनी दी गई। सिस्टम के निरीक्षण के बाद करीब चार गैर अनुरूपता की रिपोर्ट केंद्रीय कार्यालय को सौंपी गई।
विभाग के अफसरों ने बताया कि रेलवे द्वारा ₹5 लाख प्रति यूनिट की लागत से ऐसी चार हज़ार यूनिट्स खरीदी गई हैं। दरअसल, एमएस डीएसी प्रणाली का उपयोग रेलवे सिग्नलिंग में दो पॉइंट्स के बीच ट्रैक के एक सेक्शन की स्पष्ट स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह मूल रूप से स्टेशन मास्टर को बताता है कि ट्रैक ट्रेन की आवाजाही के लिए खाली है या उसमें ट्रेन आ रही है।
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