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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के ऐतिहासिक गंगैकोंडा चोलापुरम मंदिर में दर्शन और पूजा के बाद अपने संबोधन में कहा कि "‘ओम नमः शिवाय’ सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह मंत्र मेरे हृदय को स्पंदित करता है।" पीएम मोदी की यह टिप्पणी मंदिर प्रांगण में भक्ति और भावनाओं से भरी रही।

प्रधानमंत्री ने राजेंद्र चोल प्रथम की 1000वीं जयंती के उपलक्ष्य में मंदिर का दौरा किया और चोल साम्राज्य की गौरवशाली धरोहर को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पारंपरिक तमिल परिधान पहनकर शिवलिंग पर वाराणसी से लाया गया गंगाजल अर्पित किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि "तमिलनाडु की यह भूमि संस्कृति, शक्ति और शौर्य की साक्षी रही है।"

मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि "मैं जब भी ‘ओम नमः शिवाय’ सुनता हूं, मेरी आत्मा गहराई से जुड़ जाती है इस दिव्यता से। यह नाद ही मेरी ऊर्जा है।"

उन्होंने चोल वंश की स्थापत्य कला, समुद्री विजय और संस्कृति के संरक्षण में उनके योगदान की सराहना की और कहा कि देश को उनके इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस मौके पर प्रधानमंत्री ने राजेंद्र चोल स्मृति सिक्का भी जारी किया और कहा कि "इतिहास को भुलाने के बजाय, उसे अपनाना हमारी जिम्मेदारी है।"

पूरे मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था, और हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं स्थानीय नागरिक प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए उपस्थित रहे।

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