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Up kiran,Digital Desk : दोस्तों, अगर आप सोच रहे हैं कि प्रदूषण सिर्फ दिल्ली-एनसीआर वालों की समस्या है, तो आप गलत हैं। ताज़ा हालात बता रहे हैं कि उत्तर भारत का एक बड़ा हिस्सा इस वक्त 'गैस चेंबर' में तब्दील हो चुका है। पंजाब के खेतों से लेकर मध्य प्रदेश के शहरों तक, हवा का स्तर (AQI) 350 से 400 के खतरनाक आंकड़े को छू रहा है।

इस बार की मुसीबत सिर्फ गाड़ियों का धुआं या पराली नहीं है, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर इथियोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख भी भारत के आसमान पर मंडरा रही है। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि देश की हवा का पूरा 'हेल्थ रिपोर्ट कार्ड' क्या कहता है।

पूरे देश का रिपोर्ट कार्ड: 60% जिले फेल

हाल ही में CREA (Centre for Research on Energy and Clean Air) ने सैटेलाइट डेटा के आधार पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 से फरवरी 2025 के बीच की स्थिति बेहद खराब रही है।

  • दिल्ली नंबर 1: हमेशा की तरह दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यहां PM 2.5 का स्तर सामान्य से 20 गुना ज्यादा पाया गया है।
  • चौंकाने वाले नाम: प्रदूषण की दौड़ में चंडीगढ़ दूसरे नंबर पर है, इसके बाद हरियाणा और त्रिपुरा का नंबर आता है।
  • आंकड़े डराने वाले हैं: देश के जिन 749 जिलों की जांच की गई, उनमें से 447 जिले (करीब 60%) की हवा इतनी खराब है कि वो सांस लेने लायक मानकों (National Standards) पर फेल हो गए हैं। असम, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के कई जिले भी अब रेड जोन में हैं।

दिल्ली-NCR: बुधवार तक राहत नहीं

अगर हम आज (मंगलवार) की बात करें, तो दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना दूभर है।

आनंद विहार का AQI 402 तक पहुंच गया है, जो 'गंभीर' श्रेणी है।

नोएडा और गाजियाबाद में भी मीटर 390 के पार है।

इंडिया गेट और ITO पर सुबह घनी धुंध छाई रही।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) का कहना है कि बुधवार तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे, इसलिए बुजुर्ग और बच्चे विशेष सावधानी बरतें।

मध्य प्रदेश बना 'नई दिल्ली' (MP Pollution News)

इस बार सबसे ज्यादा चिंताजनक खबरें मध्य प्रदेश से आ रही हैं। जो लोग MP को साफ हवा वाला राज्य मानते थे, उन्हें ये आंकड़े देखने चाहिए।

सिंगरौली: यह शहर प्रदूषण का हॉटस्पॉट बन गया है, यहां AQI 350 के करीब है।

भोपाल और ग्वालियर: यहां की हवा भी 'बहुत खराब' श्रेणी में है।

इंदौर: सफाई में नंबर-1 रहने वाला इंदौर भी हवा के मामले में पिछड़ रहा है, कई जगहों पर AQI 300 दर्ज किया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि MP में सड़कों की खुदाई, धूल और आसपास जलाई जा रही पराली ने हवा का दम घोंट दिया है। पीथमपुर और मंडीदीप जैसे औद्योगिक इलाकों में सांस लेना मुश्किल हो रहा है।

इथियोपिया के ज्वालामुखी का भारत पर असर

प्रदूषण की मार के बीच एक नई आफत आई है— ज्वालामुखी की राख। इथियोपिया के 'हैली गुब्बी' ज्वालामुखी से उठी राख गुजरात के रास्ते भारत में प्रवेश कर चुकी है।

क्या सांस लेने में दिक्कत होगी? मौसम वैज्ञानिकों ने राहत की बात बताई है। उनका कहना है कि यह राख का बादल जमीन से 15,000 से 45,000 फीट ऊपर है। इसलिए नीचे जमीन पर सांस लेने में इसका सीधा असर शायद न पड़े।

फ्लाइट्स पर असर: चूंकि यह राख उसी ऊंचाई पर है जहां विमान उड़ते हैं, इसलिए उड़ानों में देरी हो सकती है या रूट डायवर्ट किए जा सकते हैं।

धुंधला आसमान: इस राख और सल्फर डाइऑक्साइड गैस की वजह से आसमान सामान्य से ज्यादा धुंधला और मैला दिखाई देगा। यह बादल गुजरात से होते हुए राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और फिर हिमालय की तरफ बढ़ रहा है।

कुल मिलाकर स्थिति गंभीर है। सरकार अपने कदम उठा रही है, लेकिन एक नागरिक के तौर पर हमें भी अपनी सेहत का ख्याल रखना होगा और प्रदूषण कम करने में योगदान देना होगा।