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चीन ने एक मर्तबा फिर दिखा दिया है कि चाइनीज माल चाइनीज माल ही होता है, खराब निकलेगा ही। ऐसा ही हुआ है चीनी हथियारों के साथ। ड्रैगन अपनी मिसाइलों का भंडार दिखाकर विश्व को अपना दम दिखाता है। मगर सच्चाई अब दुनिया के सामने आ गई है। ड्रैगन ने केवल पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि ईरान को भी एक तरह से ठग लिया है।

जब ईरान ने इजरायल पर जवाबी कार्रवाई की तभी चीनी डिफेंस तकनीक का पर्दाफाश हो गया और एक बार फिर साबित हो गया कि चीन के हथियार भी बाकी चाइनीज माल की तरह ही हैं, जिसकी कोई गारंटी नहीं है।

जी हां, ईरान इजराइल युद्ध में चीन का रोल सामने आया है। दरअसल, युद्ध के चलते दशकों से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की मार झेल रहे ईरान को ताकतवर बनाने में चीन की भूमिका सामने आई है। ईरान पर लगे प्रतिबंध के बाद भी उसे मिसाइल तकनीक शेयर कर चीन ने उसे सशक्त बनाने का प्रयास किया है। चीन ने ऐसे में ईरान को मिसाइल तकनीक में बेहतर बनाने के लिए कई तरह की सुविधा मुहैया कराई। उसे तकनीक और इससे जुड़े गैजेट भी मुहैया कराए।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मिसाइल को दिशा देने के साथ ही इसके निर्माण और परीक्षण के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि जायरोस्कोप, एक्सेलेरोमीटर और अन्य गैजेट तक ड्रैगन ने ईरान के रक्षा उद्योग संगठन को बेचे। जिसके जरिए ईरान ने अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ाने के साथ ही स्वदेशी उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया। असवान के पास स्थित ईरान की सबसे बड़ी मिसाइल फैक्ट्री चीन की सहायता से बनाई गई थी। बताया जा रहा है कि चीन ज्यादा दाम में ईरान को घटिया हथियार दे रहा है!

 

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