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हल्द्वानी में हुए दंगों की कुछ तस्वीरें रात्रि होते-होते मुल्क के हर एक राज्य में पहुंच गए थे। ये तस्वीरें थीं अतिक्रमण की जमीन पर बना मदरसा तोड़ने पुलिस-प्रशासन के पहरे में गई नगर निगम प्रशासन और इसका विरोध कर रही अनियंत्रित लोगों ने खूब बवाल काटा।

रात्रि लगभग दो बजे हमारे अखबार में मौतों का आंकड़ा छह लिखने के साथ ही ये देवभूमि की सबसे बड़ी हिंसक वारदात बन चुकी थी। इस दौरान सौ से ज्यादा गाड़ियां भी फूंकी जा चुकी थी और 300 से ज्यादा घायल लोग हॉस्पिटल पहुंचे थे।

सरकार को कर्फ्यू लगाना पड़ा और अशांति फैलाने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए। इससे पहले ऐसी हिंसा 2011 में रुद्रपुर में हुई थी जब वहां सांप्रदायिक दंगे में चार लोगों की जान चली गई थी। हल्द्वानी में दंगे स्क्रिप्ट 29 जनवरी से लिखी जा रही थी।

जब जिले में अतिक्रमण तोड़ते हुए नगर निगम के लोग वनभूलपुरा पहुंचती है। वही वनभूलपुरा है, जो पिछले वर्ष रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के विवाद पर राष्ट्रीय परिदृश्य में आया था। मगर इस बार जगह वही है पर विवाद नया।

बकौल प्रशासन मलिक का बगीचा में सरकारी जमीन पर मदरसा बनाकर एक शख्स ने कब्जा किया है। उसे एक फरवरी को अतिक्रमण स्वयं हटाने की वार्निंग दी गई। फिर पांच फरवरी तक खुद अतिक्रमण तोड़ने की चेतावनी दी।

मगर चार फरवरी की शाम मदरसे के पक्ष में 100 से ज्यादा महिलाएं और बच्चे सड़क पर उतर आए। चार फरवरी की रात्रि ही इस क्षेत्र को सील कर दिया और माहौल शांत हो गया। दूसरा पक्ष मामले को लेकर अदालत पहुंचा।

मगर पिछले गुरुवार को दोपहर बाद लगभग सवा तीन बजे पुलिस हुजूम फिर मलिक का बगीचा में जमा होने लगता है और पांच बजे जेसीबी मदरसा ढहाने के लिए आगे बढ़ती है। पुलिस में सेवा दे चुके लोग बताते हैं तीन से पांच बजे के बीच के यही वह दो घंटे हैं जहां पुलिस प्रशासन से भारी लापरवाही हुई।

100 से ज्यादा लोग और बैरिकेडिंग के आगे महज पांच-छह पुलिस जवान खड़ा करना भीड़ के इरादो को भांपने में भारी चूक बता रहा है। बैरिकेडिंग को धराशाई कर भीड़ लगभग सवा पांच बजे बिल्डोजर के सामने आ गई। भीड़ को हटाने के लिए पुलिस बल इस्तेमाल करती, इससे पहले सामने से पथराव शुरू हो गया। 17 गलियों में बंटे इस इलाके में हर ओर से पत्थरों की बारिश से खुफिया तंत्र का पर्दाफाश हो जाता है।

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