अगर आपके मन में कुछ अलग करने का जज्बा हो और लक्ष्य स्पष्ट हो तो कुछ भी करना मुश्किल नहीं है। ऐसी ही प्रेरक कहानी है बिहार के दिलकुश नाम के एक शख्स की, जिसने मैट्रिक पास करने के बाद नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया और फेल होने पर अपने सारे सर्टिफिकेट जला दिए।
उसके मन में कुछ और करने का विचार आ गया था। इसके बाद उस शख्स ने यूट्यूब से कोडिंग सीखी और अपनी कैब सर्विस कंपनी शुरू की। अब उनकी कंपनी रोडबेज़ को शार्क्स का समर्थन मिल गया है।
दिलकुश रोडबेस नाम से कैब सर्विस कंपनी चलाता है। मैट्रिक ग्रेजुएट दिलकुश ने इस कंपनी को शुरू करने के लिए कोई कोर्स या ट्रेनिंग नहीं ली, बल्कि यूट्यूब से कोडिंग सीखी और इस कैब सर्विस ऐप को बनाया।
शार्क टैंक के जज उनके कौशल से प्रभावित हुए और उन्होंने उनकी कंपनी में लाखों रुपये का निवेश किया। दिलकुश के पिता बिहार रोडवेज में नौकरी करते थे और इसी से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी कंपनी का नाम रॉडबेज रखा।
दिलकुश ने मैट्रिक पास करने के बाद एक कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया था किंतु उस दौरान वह एप्पल कंपनी का लोगो पहचानने में असफल रहा।
अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया और सारे सर्टिफिकेट जलाने के बाद अपने पिता से ड्राइविंग सीखी। फिर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करके कुछ पैसे बचाए और अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़े।
दिलकुश ने 2016 में सहरसा में अपनी पहली कंपनी खोली और पैसा लगाया और कई सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को काम पर रखा, किंतु 2021 में कंपनी छोड़ दी क्योंकि उनके मन में कुछ और था।
जुलाई 2022 में बिहार की राजधानी पटना ने हर गांव और शहर से जुड़ने के लिए रॉडबेस नाम से एक कैब सर्विस ऐप लॉन्च किया। फिलहाल रोडबेस के पास 20 टैक्सियां हैं। दिलखुश का सपना है कि टैक्सियों की संख्या 20 से बढ़ाकर 200 की जाए।
इस कैब ऐप की खास बात यह है कि कंपनी का कर्मचारी तब तक यात्री के संपर्क में रहता है जब तक उसे बुक की गई कैब नहीं मिल जाती। अब शार्क टैंक इंडिया के जजों ने उनके काम की सराहना की है और व्यापार विस्तार के लिए आर्थिक मदद भी प्रदान की है
--Advertisement--