पूर्व मेजर की किताब से खुलासा, कश्मीर की अशांति में पाकिस्तान की अहम भूमिका

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इस्लामाबाद, 16 अक्टूबर यूपी किरण। 26 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी सेना ने बारामुला को अपने कब्जे में ले लिया था, जहां 14000 में से केवल 3,000 सैनिक बचे थे। सेना श्रीनगर से 35 मील दूर थी, जब महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ परिग्रहण (एक्सेशन) का संदेश दिल्ली को भेजा और मदद की मांग की। यह अंश’ रेडर्स इन कश्मीर ‘किताब के हैं, जिसके लेखक पाकिस्तान के सेवानिवृत्त मेजर जनरल अकबर खान हैं।
यह किताब पाकिस्तान के जम्मू और कश्मीर के ऑपरेशन गुलमर्ग के दशकों बाद आया है, जिस ऑपरेशन में घाटी में अशांति के लिए पाकिस्तान का हाथ सामने आया था। पाकिस्तान के कश्मीर में हिंसक रवैया की परत दर परत कहानी इस किताब में लिखी गई है कि किस तरह सारी घटना की योजना लाहौर और पिंडी में बनती थी।
लेखक ने आगे लिखा है कि सितम्बर 1947 में मुस्लिम लीग के एक नेता मियां इफ्तिखारउद्दीन ने मुझसे कहा था कि कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए योजना बनाइए। अंततः मैंने एक योजना बनाई, जिसका नाम था “आर्म्ड रिवोल्ट इन कश्मीर” क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के तरफ से आक्रमण या हस्तक्षेप उस समय जरूरी नहीं समझा गया। इसलिए हमने फैसला किया कि हम कश्मीरियों को अंदरूनी रूप से मजबूत करने पर जोर देंगे, साथ साथ भारत से कश्मीर में किसी तरह की सेना या नागरिक मदद नहीं पहुंचने देंगे। इस तरह लेखक ने इस किताब में पाकिस्तान के छद्म युद्ध की नीति को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।

 

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