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Paris Olympics 2024: खेल इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाने वाले अरशद नदीम ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की, जिसकी गूंज पूरे पाकिस्तान और उसके बाहर भी सुनाई दी। पंजाब के मियां चन्नू के 27 वर्षीय भाला फेंक खिलाड़ी ने न केवल पाकिस्तान के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता, बल्कि पेरिस ओलंपिक 2024 में 92.97 मीटर की शानदार थ्रो के साथ ओलंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ा।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने नदीम को दुनिया के शीर्ष एथलीटों में शामिल कर दिया, और फिर भी सफलता के इस शिखर तक पहुँचने की उनकी यात्रा बहुत कठिन रही।
अरशद नदीम की कहानी सिर्फ एक स्वर्ण पदक के बारे में नहीं है; यह एक ऐसे युवा लड़के के बारे में है जो कभी क्रिकेट के मैदान पर हरी जर्सी पहनने का सपना देखता था। नौ लोगों के एक मामूली परिवार में पले-बढ़े, उनके पिता एक निर्माण मजदूर के रूप में काम करते थे, नदीम की आकांक्षाएँ उनकी परिस्थितियों की सीमाओं से आकार लेती थीं। क्रिकेट, वो खेल जो पाकिस्तान में लाखों लोगों को जोड़ता है, इस भावी ओलंपियन का पहला प्यार था। उनके भाई, शाहिद, याद करते हैं कि कैसे परिवार की आर्थिक तंगी ने अरशद के क्रिकेट से एथलेटिक्स में जाने में अहम भूमिका निभाई।
उनके भाई कहा कि "हम नौ लोगों का परिवार हैं - पाँच भाई, दो बहनें और हमारे माता-पिता। हमारे पिता एक मजदूर हैं और परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। क्रिकेट एक महंगा खेल है, और हम इसे वहन नहीं कर सकते थे।"
शाहिद ने बताया, "शुरू में वो हर चीज़ में भाग लेता था- 200 मीटर, 400 मीटर, लंबी कूद, भाला फेंक... फिर, हमारे स्कूल के एक शिक्षक ने नदीम को एक विशेष खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उसने भाला फेंक चुना।" यह निर्णय एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने अरशद को एक ऐसे रास्ते पर डाल दिया जो अंततः उसे ओलंपिक स्वर्ण तक ले जाएगा।