नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) के सूत्रों का दावा है कि पीएफआई (PFI) के कई सदस्य पहले स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया और इंडियन मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े थे।अब्दुल रहमान (पीएफआई नेता) कथित तौर पर सिमी के राष्ट्रीय सचिव हुआ करते थे, उन्होंने कहा कि पीएफआई (PFI) में राज्य सचिव अब्दुल सत्तार भी इसी तरह की क्षमता में सिमी से जुड़े थे।
दावा यह भी किया जा रहा कि कि पीएफआई (PFI) नेता कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित अपने आकाओं के साथ दुरभि संधि कर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें खाड़ी और मध्य पूर्वी देशों से भी निर्देश मिल रहे थे।
सूत्रों की मानें तो पीएफआई (PFI) के सदस्य मोहम्मद साकिब ने कथित तौर पर पाकिस्तान से हवाला चैनलों के जरिये पीएफआई को पैसे भेजे और कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित आकाओं के संपर्क में थे, जो विभिन्न जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों तक पहुंचना चाहते थे। सूत्रों बताते हैं कि तब साकिब का एक दोस्त एस इस्माइल कथित तौर पर उन लोगों के लिए काम कर रहा था जो भारत में आईएसआईएस (ISIS) गतिविधियों का समर्थन कर रहे थे।
साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि हवाला का बहुत सारा पैसा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए भारत में डाला गया। इसे केरल के प्रोफेसर टी.जे. जोसेफ की जघन्य हत्या से जोड़ा गया, जिन पर इस्लाम का अपमान करने और 2013 में पीएफआई (PFI) को कई राजनीतिक हस्तियों की हत्या का आरोप लगाया गया था। एनआईए फ़िलहाल PFI से जुड़े कुल 19 मामलों की जांच में जुटी है।
एनआईए का कहना है कि लगभग 46 आरोपी जिन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था, उन्हें 2010-11 के मामलों में दोषी ठहराया गया था। पीएफआई (PFI) के करीब 355 सदस्यों के खिलाफ एजेंसी पहले ही चार्जशीट कर चुकी है।
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