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Punjab News: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह एक राजनेता से अधिक एक अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते थे। यही कारण था कि तमाम राजनीतिक विरोध के बावजूद विपक्ष के नेताओं ने भी उन्हें पूरा सम्मान दिया। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता उनकी धीमी गति से बोलने की शैली और सरलता थी। वह हमेशा आसमानी रंग की पगड़ी पहनते थे। राजनीति में आने से पहले भी मनमोहन सिंह हमेशा नीली पगड़ी में नजर आते थे। लेकिन इसके पीछे एक खास वजह और एक खास कहानी थी।

सिखों में पगड़ी का रंग

आमतौर पर सिखों में एक ही रंग की पगड़ी पहनने का नियम नहीं है। हालाँकि पगड़ियों में पीले रंग की या बसंती पगड़ी अधिक पहनी जाती है। लेकिन आम सिख कई रंगों की पगड़ी पहनते हैं। इसमें सफेद रंग की पगड़ी आम लोगों में ज्यादा दिखाई देती है। कई लोग अपनी पगड़ी का रंग अपनी पोशाक के रंग के अनुसार चुनते हैं। इसमें काले, पीले, लाल, हरे, गुलाबी और नीले रंग की पगड़ियां भी शामिल हैं।

मनमोहन सिंह एक शिक्षित और सरल व्यक्ति थे। लेकिन वे किसी खास विचारधारा से बंधे हुए व्यक्ति नहीं लगे। बहुत से लोग सोचते हैं कि चूँकि वे अर्थशास्त्री हैं, मार्क्सवाद उन पर हावी हो जायेगा। लेकिन न तो वे मार्क्सवादी थे और न ही उनकी पगड़ी लाल थी। भारत में नीला रंग दशकों से बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा रहा है, लेकिन मनमोहन की पगड़ी उतनी नीली नहीं थी।

मनमोहन सिंह ने खुद बताई थी नीली पगड़ी की वजह

2006 में एक कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने खुद अपनी पगड़ी के रंग की वजह बताई थी। इसी अवसर पर कैम्ब्रिज ने उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लॉ की उपाधि से सम्मानित किया। समारोह में प्रिंस फिलिप ने अपनी पगड़ी के रंग की ओर ध्यान आकर्षित किया। प्रिंस फिलिप ने कहा कि उनकी पगड़ी का रंग देखो। इस पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं। तब सिंह ने खुद इसकी कहानी बताई।

पगड़ी के रंग को अपना पसंदीदा बताते हुए डॉ सिंह ने बताया कि जब वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे तब भी वह इसी रंग की पगड़ी बांधते थे, जिसके कारण उनके साथी उन्हें 'ब्लू टर्बन' उपनाम से बुलाने लगे। नीली पगड़ी उन्होंने स्पष्ट किया कि यह रंग उनकी निजी पसंद है और इसका किसी संप्रदाय या विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है।

इसमें कोई शक नहीं कि मनमोहन सिंह की पगड़ी का रंग उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है और उनका एक हिस्सा बन गया है। जब भी उनका कोई रंगीन कार्टून बनता था तो पगड़ी उसी रंग की होती थी। इस रंग-बिरंगी पगड़ी के बिना उनके बारे में सोचना भी नामुमकिन है, जिस तरह नीला रंग प्रेरणा और ज्ञान का प्रतीक है, उसी तरह प्रगतिशील, समावेशी और आर्थिक रूप से जीवंत भारत की परिकल्पना भी इसी रंग से पता चलेगी।

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