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बारिश, लैंडस्लाइड, धंसती जमीन, इमारतों में दरार। इस साल हाहाकार मचा है हिमाचल प्रदेश में। लेकिन तबाही का दायरा एक शहर, एक इलाके, एक राज्य तक सीमित नहीं है। दूसरे राज्य दूसरे शहरों पर भी मुसीबत का बड़ा साया। मसूरी, नैनीताल को भी बड़ा खतरा है। जोशीमठ की तरह मसूरी और नैनीताल भी धंस सकते हैं।

इन दोनों खौफनाक सवालों का जवाब जानने के पहले उत्तराखंड में कुदरती आफत की बात करते हैं। मानसून सीजन के दौरान उत्तराखंड में भी खासी तबाही मची है। लैंडस्लाइड की घटनाओं से पूरे राज्य में तबाही हो रही है। यहां भूस्खलन ने भयंकर बर्बादी की स्क्रिप्ट लिखी है। अब सवाल उत्तराखंड के दो मशहूर हिलस्टेशन मसूरी और नैनीताल का है।

सबसे पहले नैनीताल की झीलों का शहर नैनीताल खूबसूरत वादियों के बीच बसा बेहद दिलकश शहर है। जरा सोचिए अगर प्रकृति इस खूबसूरती को चुनौती देने लगे तो क्या होगा? अगर यहां के पहाड़ दरकने लगे तो कितनी तबाही होगी। उत्तराखंड के हिल स्टेशन के खतरे को लेकर वाडिया भू विज्ञान संस्थान ने स्टडी की है।

हिमाचल की तरह उत्तराखंड में भी इस मानसून सीजन के दौरान बिल्डिंग गिरने की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। बारिश में तबाह देहरादून डिफेंस कॉलेज की इमारत गंभीर खतरे को बयां करती है। वैसे लैंडस्लाइड के लिहाज से उत्तराखंड देश के सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक। रुद्रप्रयाग जिला देश का सबसे संवेदनशील जिला है। टिहरी गढ़वाल खतरे के लिहाज से देश में दूसरे नंबर पर है। लिहाजा वहां खतरा बहुत है। उत्तराखंड के शौर्य की चर्चा मसूरी के बगैर अधूरी है। पहाड़ों की रानी मसूरी खूबसूरत वादियां, झरने, देवदार के पेड़ और बर्फ से ढकी पर्वत की चोटी है। लेकिन इस कड़ी में इस खूबसूरत शहर पर भी गंभीर खतरे की बात कही जा रही है।

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