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Rajasthan News: जिला अलवर सरसों की पैदावार में काफी अव्वल है,जिसके चलते मधुमक्खी पालक यहां के खेतों के आसपास बसेरा डालते हैं। जब सरसों के फूल खिलते हैं, तो किसान मधुमक्खियों की उपस्थिति को लेकर चिंतित होते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे फूल मुरझा सकते हैं और उत्पादन में कमी आ सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि मधुमक्खियों की मौजूदगी से सरसों की उपज में लगभग 15% की वृद्धि होती है।

इस समय अलवर में सरसों की फसल हरी-भरी है और मधुमक्खी पालक किसानों से खेत लीज पर लेकर शहद उत्पादन कर रहे हैं। जिले में लगभग 450 मधुमक्खी पालक और 50,000 से अधिक मधुमक्खी कॉलोनियां हैं। उद्यान विभाग मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 40% सब्सिडी प्रदान करता है।

किसानों का कहना है कि मधुमक्खियों के आने से उनके फूलों पर बैठकर रस चूसने से फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। किसानों को डर है कि कहीं उनकी फसल खराब या कम ना हो जाए।

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक का कहना है कि मधुमक्खियों द्वारा किया गया परागण वास्तव में उत्पादन को बढ़ाता है। एक मधुमक्खी कॉलोनी से सालभर में लगभग 40 किलो शहद प्राप्त होता है, जिसका बाजार मूल्य 70 से 125 रुपए प्रति किलो तक होता है। सर्दी के मौसम में अन्य राज्यों के मधुमक्खी पालक भी अलवर जिले में सक्रिय हो जाते हैं।
 

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