img

bihar ration card: बिहार के लाखों मजदूरों के लिए एक राहत भरी खबर है। अब हर जिले में पसीना बहाने वाले हाथों को राशन कार्ड का हक मिलेगा। आपूर्ति विभाग ने इसकी तैयारी तेज कर दी है मगर शर्त ये है कि मजदूरों का नाम ई-श्रम पोर्टल पर दर्ज होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा आदेश ने इस पहल को हवा दी है, जिसके बाद विभाग ने सभी जिला प्रशासनों और एसडीओ को कमर कसने का निर्देश दे दिया। ये कदम न सिर्फ मजदूरों के लिए राशन की गारंटी है बल्कि बिहार में खाद्य सुरक्षा के दायरे को चौड़ा करने की एक बड़ी कोशिश भी है। लेकिन सवाल यह है- क्या ये योजना जमीन पर उतर पाएगी या कागजों में ही सिमट जाएगी?

ये सब शुरू हुआ सुप्रीम कोर्ट की उस चौकसी से जिसने मजदूरों की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया। पिछले साल 4 अक्टूबर को पारित एक आदेश में कोर्ट ने साफ कहा- ई-श्रम पोर्टल पर दर्ज हर असंगठित और प्रवासी मजदूर को राशन कार्ड देना अनिवार्य है। मामला वाद संख्या 06/2020 और आवेदन संख्या 94/2022 से जुड़ा था, जहां यह तथ्य सामने आया कि राशन कार्ड के अभाव में मजदूर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित रह रहे हैं। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और सरकार को आड़े हाथों लेते हुए तुरंत कार्रवाई का हुक्म दिया।

अब आपूर्ति विभाग ने इस आदेश को अमल में लाने की ठानी है। सभी एसडीओ को भेजे पत्र में साफ लिखा है कि ई-श्रम पोर्टल के सातवें और आठवें चरण में पंजीकृत मजदूरों के आंकड़े उनके लॉगिन में मौजूद हैं। बस इन्हीं आंकड़ों के आधार पर राशन कार्ड बांटे जाएंगे। बिहार के 38 जिलों में यह मुहिम शुरू हो चुकी है, मगर अभी रास्ता लंबा है।