
गोरखपुर : मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ आज से धार्मिक अनुष्ठान में लग जांयगे ! वे इस समय गोरखनाथ मंदिर में है और उनका कार्य शुरू हो चूका है ! लेकिन उनकी धार्मिक दिनचर्या के बावजूद राज्य सरकार का काम सुचारु रूप से चलता रहेगा !
नवरात्रि में गोरक्षपीठाधीश्वर की शक्तियों की आराधना का विशेष महत्व होता है। गोरक्षपीठ का जो भी पीठाधीश्वर रहे हैं वह नौ दिन तक शक्ति की आराधना करते हैं। योगी आदित्यनाथ भी उसी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हैं। इस बार भी बृहस्पतिवार को कलश स्थापित करेंगे। वह नौ दिन व्रत रहते हैं। सुबह-शाम शक्ति पीठ के पास दुर्गा सप्तसती का पाठ करते हैं।
गोरखनाथ मंदिर में पहले दिन की पूजा का विशेष महत्त्व है और इसकी एक परंपरागत प्रक्रिया अपनाई जाती है !नवरात्रि के पहले दिन मंदिर में भैरो की अक्षत, पुष्प, माला, धूप, अगरबत्ती से पूजा होती है, फिर सभी संत एक साथ मंदिर से निकलते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर के साथ संस्कृत विद्यालय के आचार्य, छात्र व मंदिर के कर्मचारी घंटा के साथ शोभायात्रा में शामिल होते हैं। शोभायात्रा मंदिर से निकलकर भीम सरोवर तक जाती है। भीम सरोवर सप्त मोक्ष दायिका जल मौजूद है। गोरक्षपीठाधीश्वर या मंदिर के मुख्य पुजारी कलश में जल भरते हैं।
वहां से शोभा यात्रा शक्ति पीठ पर आती है। पीठाधीश्वर गौरी-गणेश की पूजा करते हैं, फिर कलश स्थापित करते हैं। गोरखनाथ मंदिर के आचार्य अरविंद त्रिपाठी बताते हैं कि कलश स्थापना के बाद मंदिर में स्थापित मां भगवती की आराधना, मंदिर में स्थापित राम दरबार, कृष्ण दरबार की पूजा-अर्चना की जाती है। सप्तशती का पाठ होता है। सुबह-शाम पीठाधीश्वर भी सप्तशती का पाठ करते हैं।
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