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Up Kiran, Digital Desk: फारबिसगंज के रहीकपुर ठीलामोहन पंचायत के गुरमी वार्ड संख्या 12 में परमान नदी की कटान की ज्वलंत समस्या ने उस इलाके के निवासियों की नींद हराम कर दी है। दर्जनों घर जो वर्षों से इस नदी के किनारे स्नेह और समृद्धि के साथ बसे थे अब कटान की तेज धाराओं के मुंह पर आकर खड़े हो गए हैं मानो किसी भी वक्त ये उनके अस्तित्व को निगल लेने को आतुर हों। आसपास के हर चेहरे पर डर के साये मंडरा रहे हैं और दिलों में अनजानी आशंका की एक काली बादल छाई हुई है।
परमान नदी की गंगा-जैसी तेज बहाव वाली धाराएं नेपाल के केसरिया सहित पहाड़ों की ऊंची चोटियों से आती हैं। उन पहाड़ों से झरने की तरह गिरते ठंडे बर्फीले पानी के झोंकों का मेल इस नदी में उठती-गिरती लहरों को जन्म देता है। इस जलस्तर के उतार-चढ़ाव से नदी के दांत जैसे बिखर जाते हैं और तटवर्ती इलाकों को धीरे-धीरे निगलने लगती है। हर वर्ष की बारिश के मौसम में ये नदी जैसे प्रचंड रूप धारण कर लेती है अपने उग्र प्रवाह से किनारे की मिट्टी को चीरती हुई ले जाती है।
2017 की वह विनाशकारी बाढ़ जो अचानक आई और एक तूफान की तरह इलाके पर टूट पड़ी ने वहां के जीवन और संसाधनों को तहस-नहस कर दिया था। उस बाढ़ की तबाही की छाया आज भी जीवंत है क्योंकि उसके बाद से नदी ने लगातार अपनी भूख बढ़ाई है और कटाव की मार लगातार गहरी होती जा रही है। तबाही के बाद कटाव रुकने का नाम नहीं ले रहा जैसे प्रकृति की एक अनवरत लड़ाई हो रही हो। ग्रामीणों के आह्वान उनके बार-बार किए गए दरख्वास्तों एलेक जनप्रतिनिधियों से गुहारों के बावजूद नदी की इस सख्ती को कोई नहीं रोक पाया है। उनकी उम्मीदें अब टूटी-फूटी बातों में तब्दील होती जा रही हैं जैसे कोई सुनवाई ही न हो।
परमान नदी की इस विभीषिका को लेकर राजद के जिला प्रधान महासचिव मनोज विश्वास ने शुक्रवार को अपने समर्थकों के साथ कटाव स्थल का जायजा लिया। उनकी आंखों में ग्रामीणों के दर्द की गूंज थी और उनकी आवाज़ में एक ठोस प्रतिबद्धता। उन्होंने प्रभावित इलाकों में पैदल घूम-घूम कर लोगों से बातें कीं उनकी बेचैनी और डर को महसूस किया। उन बातचीतों में कटाव और बाढ़ से हुए नुकसान की गूढ़ता और गंभीरता साफ झलक रही थी। वे तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
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