img

चंद्रयान थ्री तेजी से चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को उतरने का अनुमान है, मगर एक और 5 अगस्त की तारीख चंद्रयान तीन के लिए बेहद खास है। 14 जुलाई को जब से चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग की गई है, तब से हर दिन इस बात पर भारतीयों की नजर टिकी है कि चंद्रयान 3 में सबकुछ ठीक चल रहा है कि नहीं। अब 1 अगस्त की तारीख नजदीक आते ही वैज्ञानिकों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। 1 अगस्त को ऐसा क्या खास होने वाला है, इसे समझने के लिए पहले कुछ अन्य चीजों को समझना होगा।

14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान तीन को लॉन्च किया गया और अनुमान है कि 23 या 24 अगस्त तक इसका रोवर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यानी लगभग 40 दिन का समय पूरे मिशन में लगेगा। हालांकि 1959 में रूस के लूना टू ने चांद की दूरी सिर्फ 34 घंटों में तय कर ली थी। हालांकि सबसे पहले चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला और इंसानों को ले जाने वाला यान अमेरिका का अपोलो 11 था।

इसलिए एक अगस्त का दिन अहम

अपोलो 11 पहली बार इंसानों को लेकर चांद पर पहुंचा था। तब इसे चांद की सतह पर पहुंचने में चार दिन, छह घंटे और 45 मिनट लगे थे। चीन ने दो हज़ार 10 में चांग दो स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था। इसने धरती से चांद की दूरी सिर्फ चार दिन में पूरी कर ली थी। धरती के अगले मून मिशन चांग थ्री ने भी इस यात्रा में इतना ही समय लिया था। भारत के चंद्रयान तीन को लगभग 40 दिन का समय लगेगा और इसी वजह से 1 अगस्त का दिन बहुत महत्वपूर्ण है।

दरअसल इसरो के पास इतना शक्तिशाली रॉकेट नहीं है जो चंद्रयान तीन को सीधे चांद के रास्ते पर भेज दे। ऐसे में चंद्रयान तीन धरती की कक्षाओं को यूज करते हुए धरती की कक्षा में घूमते हुए धीरे धीरे चांद की कक्षा की ओर बढ़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया है कि 31 जुलाई की रात या 1 अगस्त को चंद्रयान तीन पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की कक्षा में प्रवेश करने लगेगा। 

--Advertisement--