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Up kiran,Digital Desk : दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत यानी संयुक्त राष्ट्र (UN) में अब नेतृत्व बदलने का समय नजदीक आ गया है। मौजूदा महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का दूसरा कार्यकाल अगले साल खत्म होने जा रहा है। इसके साथ ही दुनिया के सबसे रसूखदार पदों में से एक—UN महासचिव के चुनाव का बिगुल बज चुका है।

क्या अगला महासचिव कोई महिला होगी? या फिर किस देश का दबदबा रहेगा? यह सवाल अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति के गलियारों में गूंजने लगा है। आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि 'दुनिया का बॉस' कैसे चुना जाता है और इस बार रेस में कौन-कौन से दिग्गज शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव का पद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत मायने रखता है। मौजूदा महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, जो पुर्तगाल से आते हैं, अगले साल अपनी कुर्सी खाली कर देंगे। 2026 में दुनिया को एक नया यूएन चीफ (UN Chief) मिलने वाला है और इसके लिए आधिकारिक प्रक्रिया की घंटी बज चुकी है।

सुरक्षा परिषद और महासभा के अध्यक्षों ने चिट्ठी लिखकर सभी देशों से अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम भेजने को कहा है। लेकिन यह चुनाव हमारे आम चुनावों जैसा नहीं होता। इसमें वीटो पावर, सीक्रेट वोटिंग और क्षेत्रीय समीकरणों का बहुत बड़ा खेल होता है।

किसका नंबर आएगा इस बार? (The Rotation Game)

संयुक्त राष्ट्र में एक पुरानी परंपरा है—'क्षेत्रीय रोटेशन' की। इसका मतलब यह है कि महासचिव का पद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में घूमता रहता है। चूंकि एंटोनियो गुटेरेस यूरोप से थे, इसलिए माना जा रहा है कि इस बार लैटिन अमेरिका (Latin America) या कैरेबियन क्षेत्र के किसी नेता को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। हालांकि, यह पत्थर की लकीर नहीं है और दूसरे क्षेत्रों से भी नाम सामने आ सकते हैं।

कैसे होता है यह हाई प्रोफाइल चुनाव?

  1. स्ट्रॉ पोल (Straw Polls): सबसे पहले, सुरक्षा परिषद (Security Council) के 15 सदस्य देश एक सीक्रेट वोटिंग करते हैं, जिसे 'स्ट्रॉ पोल' कहा जाता है। इसमें हर उम्मीदवार के लिए तीन विकल्प होते हैं— प्रोत्साहित करना (Encourage), हतोत्साहित करना (Discourage) या कोई राय नहीं।
  2. पावरफुल 5 देशों की भूमिका: अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस—ये वो पांच स्थायी सदस्य हैं जिनके पास 'वीटो पावर' है। अगर इनमें से किसी एक ने भी किसी नाम पर वीटो लगा दिया (यानी मना कर दिया), तो वो व्यक्ति महासचिव नहीं बन सकता। इन पांचों का सहमत होना सबसे जरूरी है।
  3. महासभा की मुहर: जब सुरक्षा परिषद एक नाम तय कर लेती है, तो वह सिफारिश 193 सदस्यों वाली महासभा (General Assembly) को भेजी जाती है, जहां उस नाम पर अंतिम मुहर लगती है।

ये 3 नाम हैं सबसे आगे (Top Contenders)

अगला महासचिव कौन बनेगा, इसे लेकर तीन नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं और तीनों ही लैटिन अमेरिका से हैं

  1. मिशेल बैचलेट (चिली):
    चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट इस रेस में काफी मजबूत मानी जा रही हैं। उनके पास राजनीति और कूटनीति का लंबा अनुभव है। वो चिली की पहली महिला राष्ट्रपति तो थीं ही, साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में 'मानवाधिकार प्रमुख' (Human Rights Chief) के तौर पर भी काम किया है।
  2. रेबेका ग्रिनस्पान (कोस्टा रिका):
    कोस्टा रिका की पूर्व उपराष्ट्रपति रेबेका ग्रिनस्पान का नाम भी जोर-शोर से लिया जा रहा है। 69 वर्षीय रेबेका अभी संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और विकास संस्था (UNCTAD) को संभाल रही हैं। उनके पास आर्थिक और विकास के मुद्दों की अच्छी समझ है।
  3. राफेल ग्रोसी (अर्जेंटीना):
    अगर किसी पुरुष उम्मीदवार की बात करें तो अर्जेंटीना के राफेल ग्रोसी रेस में हैं। वे एक मंझे हुए राजनयिक हैं और इस वक्त अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख हैं। वैश्विक सुरक्षा के मामलों में उनकी पकड़ काफी अच्छी मानी जाती है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या दुनिया की महाशक्तियां (Superpowers) किसी एक नाम पर सहमत हो पाती हैं और क्या इस बार इतिहास रचते हुए कोई महिला संयुक्त राष्ट्र की कमान संभालेगी।