टीम इंडिया ने कुवैत को फाइनल में पेनल्टी शूटआउट में हराते हुए सैफ चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर लिया। फाइनल में जिस तरह के मैच की उम्मीद की जा रही थी, उसी तरह का मुकाबला देखने को मिला। दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों ने गजब का प्रदर्शन किया। 90 मिनट और उसके बाद मिले एक्सट्रा टाइम में भी दोनों टीमों का स्कोर एक एक रहा तो मैच का फैसला पेनल्टी शूटआउट से हुआ।
शूटआउट में गुरप्रीत सिंह संधू (Gurpreet Singh Sandhu) ने एक बार फिर से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सेमीफाइनल में भी इस खिलाड़ी ने लेबनान के विरूद्ध शूटआउट में अपनी टीम को जीत दिलाई थी और फाइनल में एक बार फिर से वह देश के सबसे बड़े हीरो के रूप में उभरे। तो आइए इस शानदार गोलकीपर के बारे में वो बात बताते हैं जो शायद आपको नहीं पता।
गुरप्रीत सिंह संधू (Gurpreet Singh Sandhu) का जन्म तीन फरवरी 1992 को चमकौर साहिब पंजाब में हुआ था। आठ साल की उम्र में ही गुरप्रीत को प्यार हो गया और उन्होंने फुटबॉल को अपना लिया। वे साल दो हज़ार में सेंट स्टीफंस अकैडमी में शामिल हुए। दो हज़ार 6 में गुरप्रीत को अंडर 16 राज्य के लिए चुना गया था। उन्होंने दो हज़ार 6 में हल्द्वानी में पंजाब के लिए पदार्पण किया। 15 साल की उम्र में गुरप्रीत को एहसास हुआ कि फुटबॉल खेलना उसकी किस्मत में है।
गोलकीपर गुरप्रीत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मुझे लगता है कि 15 साल की उम्र में जब मैं भारत के लिए जूनियर नैशनल टीमों में शामिल हुआ और मुझे नैशनल लीग देखने और पेशेवर खिलाड़ियों के साथ बातचीत करने का मौका मिला, तभी मुझे पता था कि पेशेवर रूप से फुटबॉल खेल सकता हूं। उन्होंने एक बार खुलासा किया। स्टेट और नेशनल युवा टीमों के लिए खेलते हुए गुरप्रीत ने अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए सेल्फ डिफेंस अकैडमी में भी खेलना जारी रखा।
नवंबर 2 हज़ार 9 में गुरप्रीत सिंह पूर्वी बंगाल में शामिल हुए, जो भारत की सबसे पुरानी फुटबॉल टीम में से एक है। यही नहीं, गुरप्रीत सिंह संधू (Gurpreet Singh Sandhu) यूरोपीय शीर्ष डिवीजन लीग में खेलने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर बने। 30 जून 2 हज़ार 16 को वह यूएफा यूरोपा लीग मैच में खेलने वाले पहले भारतीय फुटबॉल बने थे।
तीन फरवरी 1992 को पैदा हुए गुरप्रीत सिंह पंजाब के निवासी हैं। छह फीट छह इंच के गुरप्रीत दो हज़ार 15 से भारतीय फुटबॉल टीम के साथ जुड़े हैं। ये है उस गोलकीपर की कहानी जिसने भारतीय फुटबॉल टीम को अपने और टीम के बल पर सैफ कप का खिताब जिताया।
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