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हिंदुस्तान की सियासत में मोदी नाम की आंधी के खिलाफ पटना में विपक्षी दलों ने मिलकर साझी रणनीति बनाई। नीतीश कुमार का कहना है कि एक साथ तो चुनाव लड़ने के बारे में एक सहमति हो गई है और बहुत अच्छे ढंग से और सब लोगों ने माना है कि हम लोग मिलकर के चलेंगे।

राहुल गांधी ने कहा कि विचारधारा की लड़ाई है और इसमें हम सब एक साथ खडे़ हैं। बता दें कि पटना में पहली मीटिंग हुई।

आगे की मीटिंग की तारीख भी तय हो गई लेकिन विपक्ष की साझी लड़ाई कितनी सफल होगी। मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा कौन होगा? सीटों का फॉर्मूला क्या होगा? सवालों के कई भूल भुलैया है और बीजेपी विरोधाभासों को बखूबी समझती है।

ऐसे में बीजेपी सियासी समीकरणों को तरजीह दे रही है। ये तो तय है कि दो हजार चौबीस में हार जीत का फैसला सियासी सहयोगी करेंगे। लिहाजा देश की सियासत में पुराने नेताओं पर बीजेपी की नजर बडे़ क्षेत्रीय दलों के साथ बीजेपी छोटे छोटे क्षेत्रीय दलों पर भी नजर गडाए हुए है।

बिहार में जीतन राम मांझी की अगुवाई वाली हिंदुस्तान अवामी मोर्चा में शामिल हो चुके हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान से भी बातचीत की खबर है। खबरों के मुताबिक यूपी में ओमप्रकाश राजभर का रुख भी को लेकर बदल सकता है। वैसे दो हजार चौबीस के चुनाव में जनता के पास जाने के लिए बीजेपी के पास बहुत कुछ है। पीएम मोदी का चेहरा, विकास का एजेंडा, राष्ट्रवाद का मुद्दा,  ये वो राष्ट्रीय मुद्दे हैं जो बीजेपी को दो हजार चौबीस में जीत दिला सकते हैं।

ज्यादा से ज्यादा सहयोगियों को तैयार करने के साथ बीजेपी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के जरिए बड़ा अभियान भी चला रही है। सवाल है कि क्या एकजुट विपक्ष बीजेपी की इन तैयारियों को चुनौती दे सकता है? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

 

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