नई दिल्ली। आज के दौर में बात अगर एचआइवी बैंक की करें तों यह कहना गलत नहीं होंगा की एचआईवी बैंक की सुविधा उपलब्ध न होंं। लेकिन क्या अपने कभी सोंचा होगा की दुनिया का सबसे पहला एचआईवी बैंक कहां खुला होगा। क्या आप सोच सकते हैं कि दुनिया के किसी कोने में कोई एचआइवी पॉजिटिव जैसे बैंक खोलने के बारे में भी सोच सकता है। वैसे तो इस तरह की चीज के बारे में सोचा नहीं जा सकता है मगर आपको बता दे की न्यूजीलैंड में ऐसा पहला बैंक खोल दिया गया है।
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साथ ही आपको यह भी बताते चलें की, इस बैंक में किसी तरह से पैसे आदि चीजें नहीं जमा होंगी। यहां पर स्पर्म जमा किए जाएंगे। बैंक खुलने के साथ ही एचआइवी पॉजिटिव तीन लोगों ने इसमें अपने स्पर्म डोनेट भी कर दिए हैं। ये तीनों डोनर एचआइवी पॉजिटिव के साथ जी रहे हैं।
इसका एक मतलब ये भी है कि अब इन लोगों के माध्यम से एचआइवी पॉजिटिव के शुक्राणु उनके बच्चों या पार्टनर में नहीं जा पाएंगे। डेमियन नियम-नील स्पर्मपोसिटिव को दान करने वाले पहले लोगों में से एक है। उन्हें 1999 में एचआईवी का पता चला था लेकिन लगभग 18 साल पहले उनका इलाज शुरू करने के बाद अनिष्ट की पुष्टि हुई थी।
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उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड में जनता के बीच अभी भी शिक्षा की कमी है, जोकि एक अवांछनीय स्थिति है। उन्होंने अपने काम और व्यक्तिगत जीवन दोनों में एचआईवी के साथ रहने के बारे में कलंक का अनुभव किया था। एक शादीशुदा व्यक्ति ने कहा कि मेरे कई दोस्त हैं जो एचआईवी के साथ जी रहे हैं जो बच्चे पैदा कर चुके हैं। अपनी यात्रा में दूसरों की मदद करने में सक्षम होना बहुत फायदेमंद है, लेकिन मैं यह भी दुनिया को दिखाना चाहता हूं कि जीवन निदान के बाद नहीं रुकता है और कलंक को दूर करने में मदद करता है।http://www.upkiran.org
ऑनलाइन स्पर्म बैंक ने कहा कि वह डोनर की तलाश कर रहे लोगों को स्पष्ट कर देगा कि उन्हें एचआईवी है लेकिन वे प्रभावी उपचार पर हैं और इसलिए वे वायरस को पास नहीं कर सकते हैं। न्यूजीलैंड एड्स फाउंडेशन, पॉजिटिव महिला इंक और बॉडी पॉजिटिव द्वारा बनाई गई पहल, न्यूजीलैंड में लोगों को एचआईवी संक्रमण के बारे में शिक्षित करने की उम्मीद करती है।
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