केंद्र सरकार देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। यूसीसी यानी देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून। कई मुस्लिम संगठन सरकार की कोशिश का विरोध कर रहे हैं और वे कह रहे हैं कि यूसीसी मुस्लिम विरोधी है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसका विरोध किया है।
यूसीसी को लेकर देशभर में बहस जारी है और इस बीच सऊदी अरब से एक मुस्लिम नेता अब्दुल करीम अल ईसा अगले सप्ताह भारत दौरे पर आ रहे हैं। ईसा 10 जुलाई को अपने पांच दिवसीय दौरे के लिए भारत में होंगे। अपनी इस यात्रा के दौरान वह विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी से भी मिलेंगे।
बहुत बड़ी शख्सित हैं मोहम्मद अब्दुल करीम
दिल्ली स्थित खुसरो फाउंडेशन के कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में दिल्ली के प्रमुख धार्मिक और सामुदायिक नेता हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम में अजीत डोभाल के भी रहने की उम्मीद है। ऐसे में जानते हैं कि कौन है मोहम्मद अब्दुल करीम। यूसीसी पर चल रही बहस के बीच उनकी इस यात्रा की क्या अहमियत है। मोहम्मद अब्दुल करीम अलीशाह मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव हैं।
मुस्लिम वर्ल्ड लीग मक्का स्थित मुसलमानों का एक प्रभावशाली संगठन है, जिसका दुनिया भर के मुसलमानों पर गहरा असर है। इसकी स्थापना 1962 में की गई थी, जिसका मकसद दुनिया भर में इस्लाम का प्रचार प्रसार करना है। इस साल सऊदी अरब के न्याय मंत्री भी रह चुके हैं। वह मानवता के सुधार को लेकर काम करने वाले संगठन सेंटर फॉर रिस्पांसिबल लीडरशिप के चेयरमैन भी हैं। ईसा को इस्लाम का उदार समर्थक माना जाता है।
पिछले साल जब प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था, तब ईसा ने कहा था कि रुश्दी पर हमला एक अपराध था, जिसे इस्लाम स्वीकार नहीं करता। मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि जब वे सऊदी अरब के न्याय मंत्री थे तो उन्होंने महिलाओं के अधिकार के लिए कई काम किए। अलग अलग समुदायों, धर्मों और देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करने के लिए भी उन्होंने कई कदम उठाए। अब समझते हैं कि यूसीसी को लागू करने की कोशिशों के बीच ईसा का भारत आना कितना अहम है।
इसे ऐसे समझिए कि इस कानून को लागू करने से पहले केंद्र सरकार को मुस्लिम समुदाय में व्यापक सहमति बनाने की जरूरत है। ऐसे में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के इस बड़े नेता की तरफ से आने वाला एक भी बयान या उनकी भारत में उपस्थिति ही इस दिशा में मुसलमानों के विरोध को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसलिए ईसा का भारत दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।
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