Success Story: यदि आप कड़ी मेहनत करने के इच्छुक हैं और दिल में इच्छाशक्ति रखते हैं, तो आप निश्चित रूप से सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। अब तक आपने सफलता की कई कहानियां पढ़ी या सुनी होंगी। लेकिन आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में जानने जा रहे हैं जिसे बिजनेस के लिए बैंक से लोन नहीं मिला, उसने अपनी मां के गहने बेचकर पैसे इकट्ठा किए और आज उसके पास करोड़ों का साम्राज्य है।
सुभाशीष चक्रवर्ती कोलकाता के एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। वो DTDC के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं। डीटीडीसी अब दो हजार करोड़ की कंपनी बन गयी है. सुभाशीष चक्रवर्ती ने इस कंपनी की शुरुआत 1990 में महज 20 हजार रुपये से की थी।
बैंकों से लोन न मिल पाने के कारण उन्होंने अपनी मां के गहने भी बेच दिए। आज DTDC भारत की एक मशहूर कूरियर कंपनी है। उन्होंने 14 हजार पिन कोड का नेटवर्क तैयार किया है. आइए जानते हैं सुभाशीष चक्रवर्ती के अब तक के सफर के बारे में।
सुभाशीष चक्रवर्ती की कहानी संघर्ष और सफलता की मिसाल है। कोलकाता में जन्मे शुभाशीष ने रामकृष्ण मिशन आवासीय कॉलेज से रसायन विज्ञान की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने पीयरलेस नामक एक बड़ी बीमा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। 1981 में कंपनी ने अपना कारोबार बढ़ाने के लिए उन्हें बेंगलुरु भेजा।
सन् 1987 में सुभाशीष ने पीयरलेस छोड़ दिया और अपना खुद का रासायनिक वितरण व्यवसाय शुरू किया। हालाँकि, डाक सेवाओं में त्रुटियों के कारण ये बिजनेस सफल नहीं हो सका। इस विफलता के कारण सुभाशीष को एहसास हुआ कि डाक सेवा और ग्राहक के बीच एक बड़ा अंतर था। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने 26 जुलाई 1990 को अपनी कूरियर कंपनी DTDC की शुरुआत की।
DTDC का मतलब 'डेस्क टू डेस्क कूरियर एंड कार्गो' है। शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बैंकों ने उन्हें ऋण देने से इनकार कर दिया। अपनी कंपनी बचाने के लिए सुभाशीष को अपनी मां के गहने बेचने पड़े। उन्होंने अपनी कंपनी में सिर्फ 20 हजार रुपये का निवेश किया था।
ऐसे छा गई कंपनी
फिर सन् 1991 में शुभाशीष के मन में फ्रेंचाइजी मॉडल का विचार आया। इससे डीटीडीसी को सफलता की नई राह मिली। इस मॉडल के तहत उन्होंने छोटे शहरों में भी अपनी सेवा शुरू की जहां कूरियर सेवा की मांग ज्यादा है। सुभाशीष ने देखा कि छोटे शहरों में कूरियर सेवाओं की मांग ज्यादा है। यह कदम बहुत लाभदायक रहा और कुछ ही समय में DTDC एक बड़ा नाम बन गया।
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