तीन नवजात शिशुओं ने पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट में दी अर्जी, अब आया इतना सख्त फैसला अगर नहीं माने तो…

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कुछ ही दिन में दिवाली आने वाली है लेकिन इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पटाखों को लेकर याचिका दायर होने लगी है. आपको बता दें कि प्रतिबंधित पटाखों के बाजार में बिकने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। SC ने कहा कि ग्रीन पटाखे की आड़ में पटाखा निर्माताओं की तरफ से प्रतिबंधित केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश का पालन किया जाना चाहिए।

Fire Crackers

वहीँ पटाखे बाजार में खुलेआम बेचे जा रहे हैं और लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि अगर प्रतिबंध है तो वे बाजारों में कैसे उपलब्ध हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने पटाखे बैन पर जो आदेश पारित कर रखा है उसका प्रत्येक राज्य पालन करें। बेंच ने कहा कि उत्सव मनाने का मतलब यह नहीं है कि ऊंचे आवाज वाले पटाखे चलाए जाएं। उत्सव फुलझड़ी चलाकर या बिना शोर के भी हो सकता है।

आपको बता दें कि इस कड़ाई और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की वजह दरअसल ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवजात शिशुओं की ओर से उनके पैरंट्स की अर्जी पर यह फैसला दिया है। 24 नवंबर 2015 को पैरंट्स ने प्रदूषण के कारण इन शिशुओं के ब्रेन का विकास न होने की दलील देते हुए पूरे देश में पटाखे बैन करने की याचिका दी थी।

क्या हैं ग्रीन पटाखे?

तय लिमिट में आवाज और धुएं वाले पटाखों को ही कोर्ट ने ग्रीन यानी इकोफ्रेंडली माना है, जिनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की कम मात्रा ही इस्तेमाल होती है।

कौन तय करेगा पटाखे इको फ्रेंडली हैं?
कोर्ट ने कहा कि ग्रीन पटाखों को पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन यानी पेसो से पास कराना होगा।

किन पटाखों पर है रोक?
लड़ियों और सांप की टिकिया पर रोक लगा दी गई है। आर्सेनिक, लिथियम, लेड, मरकरी, बेरियम और ऐल्युमिनियम वाले पटाखे बैन होंगे।

कहां से खरीद सकते हैं पटाखे?
पटाखों को केवल लाइसेंस पाए ट्रेडर्स ही बना और बेच सकते हैं। ऑनलाइन बिक्री नहीं हो सकती।

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