लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को दी अंतरिम राहत, दो महीने तक बैंक न करे एनपीए घोषित

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नई दिल्ली: लोन चुकाने की अवधि टालने के  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को अंतरिम राहत दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगस्त तक कोई बैंक लोन अकाउंट एनपीए घोषित नहीं किया है तो उसे अगले दो महीने तक एनपीए घोषित न करने की बात कही है। आपको बता दे ​कि अगर किसी लोन की ईएमआई लगातार तीन महीने तक न जमा की जाए तो बैंक उसे एनपीए गैर निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देती हैं। एनपीए का मतलब है कि बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं। जिससे कर्जधारकों की रेटिंग खराब हो जाती है। और भविष्य में उन्हें लोन लेने में काफी दिक्कत होती है।आपको बता दे लोन मोरेटोरियम मामले में अब सुनवाई अगले सप्ताह 10 सितंबर को जारी रहेगी। वहीं आज सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां काफी महत्वपूर्ण रहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करे।  

सरकार ने सौंपा हलफनामा 

जानकारी के मुताबिक लोन मोरेटोरियम पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा पेस किया था। वहीं सरकार ने संकेत भी दिया है। कहा है कि मोरेटोरियम को 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन यह कुछ ही सेक्टर को ही मिलेगा। और साथ ही केंद्र सरकार ने कहा था। कि ब्याज पर ब्याज के मामले पर रिजर्व बैंक खुद निर्णय लेगा। वहीं सरकार ने सूची भी सौंपी है। सूची मे कहा है कि किन सेक्टर को आगे राहत दी जा सकती है। सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘हम ऐसे सेक्टरों की पहचान कर रहे हैं। यह देखते हुए कि उनको कितना नुकसान हुआ है। जिनको राहत दी जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब और देर नहीं की जा सकती।

ये है पूरा मामला

आपको बता दे कोविड-19 महामारी को ध्यान रखते हुए आरबीआई ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था। जिसमें कर्जधारकों को 3 महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए छूट दी गई थी। वहीं 22 मई को, RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा भी की थी। जिसके चलते लोन EMI पर छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई। मगर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई जिसमें कहा कहा गया कि बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ- साथ ब्याज लगा रहे है। जो एक प्रकार से गैरकानूनी है। ईएमआई का ज्यादातर हिस्सा ब्याज का ही होता है। और इस पर भी बैंक ब्याज लगा रहे हैं। मतलब ब्याज पर भी ब्याज लगाया जा रहा है। जिसको लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

 

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