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उत्तराखंड के अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाने की गुहार पर उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखीं। सरकार ने कहा कि अंकिता भंडारी मामले की जांच को लेकर राज्य सरकार ने तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अफसर की निगरानी में नौ सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी इस मामले की जांच कर रही है।

इस दौरान उत्तराखंड सरकार ने कहा कि निचली अदालत में इस मामले के आरोपी पुलकित आर्या, अंकित गुप्ता और सौरभ के विरूद्ध आईपीसी की धारा के तहत चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। वहीं निचली अदालत ने 18 मार्च को इस मामले में आरोपियों के विरूद्ध आरोप तय भी कर दिए। इसके बाद हुई सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट में 27 गवाहों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं। उनमें इनके पैरेंट्स, भाई, चाचा और बॉयफ्रेंड भी शामिल हैं।

वहीं मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मुकदमा चल रहा है और सबूत जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। उत्तराखंड सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी गई कि इस पूरे मामले से जुड़े हुए सीसीटीवी फुटेज निचली अदालत में सबूत के तौर पर रखे हैं।

दरअसल, उत्तराखंड के अंकिता भंडारी हत्याकांड में पीड़ित परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की है। उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। पीड़ित परिवार ने अपनी याचिका में कहा है कि वे एसआईटी की जांच से संतुष्ट नहीं है। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच से इनकार कर दिया था, लेकिन परिवार ने उसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साफ कहा गया कि सरकार ने जिस एसआईटी का गठन किया, उससे उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। 

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