img

Up kiran,Digital Desk : दशकों से आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ रहे भारत के लिए एक नई चुनौती सामने आई है। अब तक यह माना जाता रहा है कि आतंकी बनाने के लिए अशिक्षित और आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को निशाना बनाया जाता था। लेकिन हाल ही में दिल्ली के लाल किले के पास हुए आतंकी हमले ने इस धारणा को तोड़ दिया है। इस हमले में उच्च शिक्षित मेडिकल पेशेवरों का एक पूरा नेटवर्क सामने आया है, जिसमें एमबीबीएस और एमडी डिग्री धारक भी शामिल हैं।

यह सोचकर ही सिहरन होती है कि जो लोग मानव जीवन बचाने की कसम लेते हैं, वही आत्मघाती हमलावर बनकर मासूमों की जान लेने की साजिश रच रहे हैं। आतंक की इस नई शक्ल ने देश की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को यकीनन और ज्यादा मुश्किल बना दिया है। यह घटना इस सवाल को जन्म देती है कि आखिर इन पढ़े-लिखे नौजवानों को किस विचारधारा ने आतंक के रास्ते पर धकेला है?

आतंकवादी हमलों का दौर (1993-2025): कुछ प्रमुख घटनाएँ

भारत ने 1993 से लेकर 2025 तक आतंकवाद का एक लंबा और दर्दनाक सफर देखा है। इन सालों में कई ऐसे हमले हुए, जिन्होंने देश को झकझोर कर रख दिया।

  1. 1996: दिल्ली के लाजपत नगर में 21 मई को हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत हुई।
  2. 2001: दिल्ली में 13 दिसंबर को संसद पर हुए हमले में 9 लोगों की शहादत हुई।
  3. 2002: गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में 2 सितंबर को हुए आतंकी हमले में 13 लोग मारे गए।
  4. 2005: दिल्ली में 29 अक्टूबर को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 62 लोगों की जान गई।
  5. 2008: 26 नवंबर को मुंबई में हुए हमलों ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया, जिसमें 166 लोग मारे गए।
  6. 2013: हैदराबाद में 21 फरवरी को हुए बम धमाकों में 18 लोगों की मौत हुई।
  7. 2016: 18 सितंबर को हुए उरी आतंकी हमले में 19 भारतीय जवान शहीद हुए।
  8. 2019: 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए।
  9. 2025: दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई, जिसने इस नए खतरे की ओर इशारा किया।

ये केवल कुछ उदाहरण हैं। इन हमलों के पीछे की सोच और तरीके में लगातार बदलाव देखने को मिला है। जहाँ पहले पढ़े-लिखे लोगों को इन गंदी हरकतों से दूर समझा जाता था, वहीं अब मेडिकल जैसे पेशों से जुड़े लोगों का आतंकी नेटवर्क में पाया जाना वाकई चिंताजनक है। आतंकवाद के इस नए और 'सफेदपोश' चेहरे की गहरी पड़ताल और समाधान खोजना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।