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Up kiran,Digital Desk : राजनीति को अक्सर सेवा का माध्यम माना जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे अपने पापों को छिपाने का 'सुरक्षा कवच' समझते हैं। वाराणसी के रहने वाले शुभम जायसवाल की कहानी कुछ ऐसी ही है। वह व्यक्ति, जो युवाओं की नसों में जहर घोलने वाले नशीले कफ सिरप के अरबों के कारोबार का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, दरअसल 'माननीय' (MLC) बनने के सपने देख रहा था। यूपी एसटीएफ (STF) की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने इस पूरे खेल से पर्दा उठा दिया है और अब कई बड़े नामों की नींद हराम हो चुकी है।

सियासत में एंट्री की थी पूरी प्लानिंग

शुभम जायसवाल जानता था कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। इसलिए, अपने काले साम्राज्य को पुलिस और एजेंसियों से बचाने के लिए उसने राजनीति की शरण लेने की योजना बनाई। एसटीएफ की जांच में पता चला है कि वह विधान परिषद सदस्य (MLC) बनने की फिराक में था।

इसके लिए उसने सिर्फ हवा में बातें नहीं की थीं, बल्कि 'मैनेजमेंट' भी शुरू कर दिया था। खबर है कि पूर्वांचल के कई बाहुबलियों और रसूखदार नेताओं से वह लगातार संपर्क में था, ताकि चुनाव के वक्त उसे सपोर्ट मिल सके। हद तो तब हो गई जब यह पता चला कि उसने किसी बड़े नेता को खुश करने के लिए तोहफे (गिफ्ट) के तौर पर एक लग्जरी 'टोयोटा लैंड क्रूजर' गाड़ी तक खरीद ली थी। यह गाड़ी किसे दी जानी थी, एसटीएफ अब इसका पता लगा रही है।

टाटा की गिरफ्तारी ने खोले राज, दुबई से जुड़े तार

इस मामले में पुलिस ने शुभम के बेहद करीबी अमित सिंह उर्फ 'टाटा' को गिरफ्तार कर लिया है। 'टाटा' ही वो कड़ी है, जिसके जरिए एसटीएफ को कई सुराग मिल रहे हैं। पता चला है कि पुलिस की निगाह से बचने के लिए ये लोग आम फोन कॉल की जगह 'फेसटाइम' (FaceTime) एप के जरिए बात करते थे।

उधर, शुभम जायसवाल की तलाश तेज कर दी गई है। उसके खिलाफ 'लुक आउट सर्कुलर' जारी है, ताकि वह दुबई से भागकर किसी और देश में पनाह न ले सके। जांच एजेंसियों को शक है कि उसे देश से भगाने में कुछ प्रभावशाली लोगों ने मदद की है।

पुलिसवाला ही निकला मददगार?

इस कहानी का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा है एक पूर्व पुलिसकर्मी की भूमिका। एसटीएफ के ही एक बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह का नाम भी इस सिंडिकेट में सामने आया है। जांच में पता चला है कि आलोक, शुभम और अमित 'टाटा' के साथ लगातार संपर्क में था। यह रक्षक के भक्षक बनने जैसा मामला है। अब उसकी कंपनियों और लेन-देन की गहन जांच की जा रही है।

पूर्व सांसद पर उठ रहे सवाल

मामले ने अब बड़ा सियासी रूप ले लिया है। पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने मांग की है कि जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने डीजीपी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि न केवल शुभम, बल्कि उसके साथी गौरव और वरुण भी दुबई फरार हो गए हैं। इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है, यह तय होना चाहिए।

फिलहाल, एसटीएफ अमित सिंह 'टाटा' को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने वाली है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पूर्वांचल के इस 'नशीले सिंडिकेट' में शामिल कई और बड़े 'सफेदपोश' चेहरों से नकाब उतर सकता है।