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Up kiran,Digital Desk : बांग्लादेश में जुलाई 2024 के विद्रोह से उभरे युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हालात तेजी से बिगड़ गए हैं। राजधानी ढाका समेत कई बड़े शहरों में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ सरकार के खिलाफ नारे लगाए, बल्कि कई जगहों पर भारत विरोधी नारे भी सुनाई दिए।

हादी की मौत ऐसे समय हुई है, जब बांग्लादेश फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव की तैयारी में है। ऐसे में देश की राजनीति में पहले से मौजूद अस्थिरता और भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव और गहरा गया है। वजह यह भी है कि शरीफ उस्मान हादी अपनी खुली भारत विरोधी बयानबाजी और शेख हसीना सरकार के विरोध के लिए जाना जाता था।

हादी की मौत के बाद क्यों भड़की हिंसा

घटना 12 दिसंबर की है, जब ढाका के बिजॉयनगर इलाके में नकाबपोश हमलावरों ने शरीफ उस्मान हादी को सिर में गोली मार दी। गंभीर हालत में उन्हें पहले ढाका मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और बाद में बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया। 18 दिसंबर को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

मौत की खबर फैलते ही ढाका की सड़कों पर हजारों लोग उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने न्याय की मांग करते हुए कई इलाकों में तोड़फोड़ की। कुछ जगहों पर मीडिया दफ्तरों और राजनीतिक कार्यालयों को निशाना बनाया गया। हालात इतने बिगड़े कि कई शहरों में पुलिस को अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।

हमला किसने किया, अब भी सवाल

बताया जा रहा है कि उस वक्त हादी रिक्शा से कहीं जा रहे थे, तभी पीछे से हमला किया गया। गोली उनके बाएं कान के पास लगी थी। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि हमला किसने और किन वजहों से किया। जांच अभी जारी है।

अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने जैसे ही हादी की मौत की पुष्टि की, उसके कुछ ही घंटों के भीतर विरोध प्रदर्शन तेज हो गए। गुस्साई भीड़ ने सरकार और व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।

तीन संदिग्धों की पहचान

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले में तीन संदिग्धों की पहचान की है। इनमें फैसल करीम मसूद उर्फ राहुल का नाम सामने आया है, जो प्रतिबंधित छात्र लीग का पूर्व नेता बताया जा रहा है। आरोप है कि उसी ने पीछे से गोली चलाई थी। उसके साथ मोटरसाइकिल चला रहा व्यक्ति आलमगीर शेख था। एक अन्य संदिग्ध रुबेल पर हमले से पहले निगरानी रखने का आरोप है, जिसका संबंध स्वेच्छासेवक लीग से बताया जा रहा है।

भारत से जोड़कर क्यों देखा जा रहा मामला

हादी की मौत के बाद कुछ स्थानीय रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में बिना ठोस सबूत के यह दावा किया गया कि हमलावर भारत भाग गए। इसी आधार पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिशें तेज हो गईं। जानकारों का मानना है कि चुनाव से पहले भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए इस घटना का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है।

शरीफ उस्मान हादी न सिर्फ शेख हसीना के मुखर विरोधी थे, बल्कि भारत के खिलाफ उनके बयान अक्सर चर्चा में रहते थे। यही वजह है कि उनकी मौत को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों ने हालात और संवेदनशील बना दिए हैं।

शेख हसीना की सत्ता से विदाई में भूमिका

हादी का नाम जुलाई 2024 में हुए हिंसक आंदोलन में भी प्रमुखता से सामने आया था। उसी आंदोलन के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। हादी उस समय इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे और युवाओं के बीच उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती थी।

फरवरी 2026 में होने वाले चुनाव में वह ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे। हमले के समय भी वह उसी क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे। अब उनकी मौत ने बांग्लादेश की राजनीति को एक बार फिर उबाल पर ला दिया है।