Up Kiran, Digital Desk: आजकल हमारी ज़िंदगी में प्रदूषण और खराब हवा की बातें बहुत होती हैं, और ऐसे में फेफड़ों का ख्याल रखना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है. अक्सर हम अपनी सेहत की छोटी-मोटी बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन हमारी साँसों का सीधा संबंध हमारे फेफड़ों से है. क्या आपने कभी सोचा है कि आपके फेफड़े कितने मज़बूत हैं? उन्हें बस 1 मिनट में परखने का एक बेहद आसान तरीक़ा है, जो आपको अपनी लंग हेल्थ के बारे में एक अच्छा आइडिया दे सकता है.
आइए जानते हैं यह ख़ास 1 मिनट का ब्रीदिंग टेस्ट कैसे करना है और क्यों ये इतना मायने रखता है:
क्या है यह 1 मिनट का ब्रीदिंग टेस्ट?
यह एक साधारण लेकिन असरदार टेस्ट है जो बताता है कि आपके फेफड़े कितनी कुशलता से काम कर रहे हैं और आप कितनी हवा अंदर ले पाते हैं या बाहर छोड़ पाते हैं. इसे आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं!
टेस्ट कैसे करें?
- शांत जगह चुनें: सबसे पहले एक ऐसी जगह बैठें या खड़े हों जहाँ आप आराम महसूस करें और कोई आपको परेशान न करे.
- गहरी सांस लें: अब नाक से गहरी सांस अंदर भरें, जितनी ज़्यादा हवा भर सकें. कोशिश करें कि आपका पेट फूले.
- धीरे-धीरे हवा बाहर छोड़ें: मुंह को थोड़ा खोलकर (जैसे मोमबत्ती बुझा रहे हों) धीरे-धीरे हवा बाहर निकालें. इसमें आवाज़ नहीं आनी चाहिए.
- घड़ी देखें: इस प्रक्रिया में, हवा अंदर भरने से लेकर पूरी हवा बाहर निकलने तक आपको कितना समय लगता है, घड़ी में देखें.
- गिनती करें: आप कोशिश करें कि आप अपनी सांस को बाहर छोड़ने में कितना समय लगाते हैं. अगर आप लगातार 25-30 सेकंड या उससे ज़्यादा समय तक साँस धीरे-धीरे बाहर छोड़ पा रहे हैं, तो ये एक अच्छा संकेत है.
परिणाम क्या बताते हैं?
- 25-30 सेकंड या ज़्यादा: अगर आप 25-30 सेकंड या इससे ज़्यादा देर तक साँस बाहर छोड़ पाते हैं, तो ये दर्शाता है कि आपके फेफड़े काफी हद तक ठीक से काम कर रहे हैं और उनकी क्षमता अच्छी है.
- 15-20 सेकंड: अगर आप लगभग 15-20 सेकंड तक साँस बाहर छोड़ पाते हैं, तो आपकी फेफड़ों की सेहत ठीक-ठाक कही जा सकती है, पर इसे बेहतर बनाने पर काम किया जा सकता है.
- 10-15 सेकंड से कम: अगर आपको 10-15 सेकंड से भी कम समय लगता है, तो हो सकता है कि आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता उतनी अच्छी न हो, जितनी होनी चाहिए. ऐसे में एक बार डॉक्टर से सलाह लेना फायदेमंद हो सकता है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह टेस्ट?
- समय रहते पहचान: यह टेस्ट आपको सीओपीडी (COPD), अस्थमा या फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याओं के शुरुआती संकेतों को समझने में मदद कर सकता है. अक्सर लोग इन बीमारियों को तब तक नज़रअंदाज़ करते रहते हैं जब तक वे गंभीर नहीं हो जातीं.
- जागरूकता बढ़ाना: यह आपको अपने फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति ज़्यादा जागरूक बनाता है और आपको हेल्दी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है.
- प्रेरणा देना: यह एक छोटी सी एक्सरसाइज भी है, जो आपकी श्वसन मांसपेशियों को मज़बूत करने में मदद करती है.
याद रखें, यह टेस्ट सिर्फ़ एक अनुमानित जानकारी देता है, ये किसी मेडिकल डायग्नोसिस का विकल्प नहीं है. अगर आपको लगातार सांस लेने में तकलीफ़ महसूस होती है, या कोई और श्वसन संबंधी समस्या है, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें. अपने फेफड़ों का ध्यान रखें, क्योंकि स्वस्थ फेफड़े ही स्वस्थ जीवन की नींव हैं!
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