
Up Kiran, Digital Desk: भारत सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध अल्पसंख्यकों के लिए एक बड़ा और मानवीय फैसला लिया है। गृह मंत्रालय (MHA) ने एक नए आदेश में इन समुदायों के लोगों को, जिनके पास वैध पासपोर्ट या वीज़ा नहीं है, भारत में रहने की कानूनी अनुमति दे दी है।
यह फैसला उन हज़ारों लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो अपने देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत में शरण लेने के लिए मज़बूर हुए थे।
सरकार ने फॉरेनर्स एक्ट (Foreigners Act) के प्रावधानों में ढील देते हुए यह छूट दी है। इसका मतलब है कि अगर इन देशों से आए इन छह अल्पसंख्यक समुदायों के किसी व्यक्ति के पास वैलिड ट्रेवल डॉक्यूमेंट्स नहीं भी हैं, तो भी उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा।
यह कदम नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 की भावना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य इन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
इस आदेश से उन लोगों को सबसे ज़्यादा फायदा होगा जो दशकों से भारत में रह रहे हैं, लेकिन कानूनी दस्तावेजों की कमी के कारण हमेशा एक अनिश्चितता और डर के साये में जीते थे। यह फैसला उन्हें एक तरह की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है और भारत में एक सम्मानजनक जीवन जीने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।