Up kiran,Digital Desk : उत्तराखंड के लिए आज का दिन बेहद गमगीन है। राज्य आंदोलन के प्रमुख चेहरे और उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) के मजबूत स्तंभ रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट अब हमारे बीच नहीं रहे। उनकी विदाई एक ऐसे युग का अंत है जिसने उत्तराखंड को बनते हुए देखा था। आज हरिद्वार में राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
आइये जानते हैं इस दुखद खबर से जुड़ी पूरी जानकारी।
उत्तराखंड की राजनीति और राज्य निर्माण आंदोलन के एक पुरोधा, दिवाकर भट्ट ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके जाने से न सिर्फ उनके परिवार को, बल्कि पूरे उत्तराखंड को एक गहरा झटका लगा है। एक ऐसा नेता जिसने सड़क से लेकर सदन तक पहाड़ की बात उठाई, आज खामोश हो गया।
आज, यानी बुधवार को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके सम्मान में हरिद्वार जिले के सभी सरकारी कार्यालयों को आज बंद रखने का फैसला लिया गया है, जो बताता है कि उनका कद इस राज्य के लिए कितना बड़ा था।
काफी समय से लड़ रहे थे बीमारी से जंग
दिवाकर भट्ट पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। परिजनों ने बताया कि उनकी जिजीविषा (जीने की इच्छा) बहुत मजबूत थी, लेकिन लगातार पांच बार ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) होने की वजह से उनका शरीर काफी कमजोर हो चुका था।
इलाज के लिए उन्हें देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, तो उन्हें मंगलवार की सुबह हरिद्वार स्थित उनके आवास 'शिवालोक कॉलोनी' ले आया गया था। वहीं शाम करीब 4 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
नेताओं और समर्थकों का तांता
उनके निधन की खबर मिलते ही हरिद्वार से लेकर पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई। उनके आवास पर समर्थकों और राजनीतिक दिग्गजों के आने का सिलसिला जारी है। हरिद्वार के डीएम मयूर दीक्षित और विधायक मदन कौशिक समेत कई बड़े नेताओं ने वहां पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। डीएम ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेशानुसार उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।
टिहरी से था गहरा नाता
दिवाकर भट्ट का जन्म 1 अगस्त 1946 को टिहरी जिले के सुपार गांव (पट्टी बडियार गढ़) में हुआ था। वह ताउम्र पहाड़ के मुद्दों के लिए लड़ते रहे। उक्रांद (UKD) के केंद्रीय अध्यक्ष रहने के साथ-साथ उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में भी राज्य की सेवा की। उनके जाने को राजनीतिक दल 'कभी न भरने वाला घाव' बता रहे हैं।
परिवार में छोड़ गए रोता-बिलखता परिवार
79 साल की उम्र में दुनिया छोड़ने वाले दिवाकर भट्ट अपने पीछे एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके परिवार में बेटा ललित भट्ट, बहू और पोते-पोतियां हैं। आज जब उन्हें अंतिम विदाई दी जा रही है, तो हर किसी की आंखें नम हैं क्योंकि उत्तराखंड ने आज अपने एक सच्चे सिपाही को खो दिया है।




