कभी भारत की शान रहे ये तीन आलीशान किले, अब इस देश का बढ़ा रहे मान

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दुनियाभर में पाकिस्तान अपने देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है. आपको बता दें कि इसके चलते कई और देश भी प्रभावित होते आये हैं. लेकिन इसके अलावा क्या आप यहां मौजूद किलों के बारे में जानते हैं? आज हम आपको पाकिस्तान के उन आलीशान और एतिहासिक किलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी भारत की शान हुआ करते थे। बंटवारे की वजह से ये सारे किले पाकिस्तान के हिस्से में चले गए।

डेरावर फोर्ट
पाकिस्तान के बहावलपुर के डेरा नवाब साहिब से 48 किलोमीटर दूरी पर स्थित डेरावर फोर्ट को जैसलमेर के राजपूत राय जज्जा भाटी ने बनवाया था। इस एतिहासिक महल की दीवारें 30 मीटर ऊंची और इसका घेरा 1500 मीटर है। यह किला इतना आलीशान है कि चोलिस्तान रेगिस्तान में कई मील दूर से भी यह दिखता है।

अल्तीत फोर्ट
पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बल्टिस्तान की हुंजा वैली के करीमाबाद में मौजूद अल्तीत फोर्ट करीब 900 साल पुराना है। यह किला हुंजा स्टेट के राजाओं का किला था, जो मीर कहलाते थे। एक समय में यह किला काफी जर्जर हालत में पहुंच गया था, जिसे बाद में आगा खान ट्रस्ट ने नॉर्वे और जापान की मदद से इसे दुरुस्त किया।

रोहतास फोर्ट
पाकिस्तान के झेलम शहर के दीना टाउन के पास स्थित रोहतास फोर्ट को शेरशाह सूरी ने वर्ष 1540 से 1547 के बीच बनवाया था। कहते हैं कि इसे बनााने में करीब 30 हजार लोग लगे थे। 12 दरवाजों वाले इस आलीशान किले पर मुगलों का भी अधिकार रहा है।

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