हफ्ते में बस 2 दिन ही करती थीं पढ़ाई, अब बन गई IAS, UPSC परीक्षा में रैंक जानकर रह दंग

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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने कुछ दिन पहले ही सीएसई 2020 फाइनल परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था, जिसमें कई छात्रों ने इसको अपनी मेहनत से पास किया है. आपको बता दें कि इस में हरियाणा की रहने वाली देवयानी (Devyani) ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और ऑल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने में सफल रहीं. इससे पहले देवयानी ने पिछले साल अपने चौथे प्रयास में 222वीं रैंक हासिल की थी.

आपको बता दें कि देवयानी हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली (Devyani belongs to Mahendergarh) हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ के एसएच सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की. इसके बाद देवयानी ने साल 2014 में बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.

पिता को ही प्रेरणा मानती हैं

गौरतलब है कि देवयानी (Devyani) हिसार के संभागीय आयुक्त विनय सिंह (Divisional Commissioner Vinay Singh) की बेटी हैं और उन्होंने शुरू से ही अपने पिता को एक सिविल सेवक के रूप में काम करते देखा था, इसलिए वह भी अपने पिता जैसा बनना चाहती थी. देवयानी अपने पिता को ही प्रेरणा मानती हैं.देवयानी (Devyani) के लिए आईएएस बनने का सफर आसान नहीं था और लगातार तीन बार फेल के बाद उन्हें सफलता मिली.

बता दें कि देवयानी ने साल 2015, 2016 और 2017 में यूपीएससी परीक्षा दी थी, लेकिन वह पास नहीं हो पाईं. पहले और दूसरे प्रयास में देवयानी प्री एग्जाम भी नहीं पास कर पाई थीं, हालांकि साल 2017 में वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंची, लेकिन फाइनल लिस्ट में उनका नाम नहीं आया. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 2019 के एग्जाम में सफलता हासिल कर 222वीं रैंक पाने में सफल रहीं. लेकिन इसके साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी करती रहीं. कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने देवयानी ने ऑल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल की आईएएस बनने में सफल रहीं. इससे पहले साल 2019 में देवयानी का चयन राजस्थान सिविल सेवा में भी हुआ था.

वहीँ देवयानी (Devyani) ने ये भी बताया कि उन्होंने कभी भी ये नहीं देखा कि वह कितने घंटे पढ़ाई करती है. वह बिना किसी टेंशन के गंभीरता से पढ़ाई करती थी. सेंट्रल ऑडिट विभाग में चयन के बाद उन्हें पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता था, इसलिए वह वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को ही पढ़ाई करती थीं.

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